कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मंगलवार को अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं राज्य में बिजली की मांग 4600 मेगावाट रही। मांग की पूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों को फुल लोड में चलाना पड़ रहा। इस बीच इकाइयों में आने वाली तकनीकी खराबियों की वजह से कंपनी की मुसीबत बढ़ गई है। मड़वा प्रोजेक्ट की 500 मेगावाट की एक बंद इकाई को दूसरे दिन भी शुरू नहीं किया जा सका।
पांच दिन पूर्व डीएसपीएम की एक इकाई ट्यूब लीकेज के कारण ट्रिप हो गई थी। इसके बाद अब मड़वा की इकाई में भी यही समस्या आ गई है। बायलर ट्यूब लीकेज से मड़वा प्लांट की दो नंबर की यूनिट से बिजली उत्पादन बंद हो गया है। संयंत्र में कोयले की कमी नहीं है। उनके पास 25 दिन का कोल स्टाक है। भीषण गर्मी से बिजली की मांग बढ़ने से राज्य बिजली कंपनी के संयंत्रों की इकाइयों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। इसकी वजह से तकनीकी खराबी भी सामने आने लगी है। ऐसे में संयंत्र की इकाइयों की निरंतर परिचालन चुनौती बनी हुई है। डीएसपीएम की एक यूनिट में आई तकनीकी खराबी को दूर कर लाइटअप किए जाने के पांच दिन बाद सोमवार को मड़वा पावर प्लांट की दो नंबर यूनिट की बायलर ट्यूब लीकेज से बंद करना पड़ा है। इससे 500 मेगावाट उत्पादन बाधित हुआ है। बिजली की डिमांड में इजाफा हुआ है। इस दिन अधिकतम 4600 मेगावाट प्रदेश में बिजली की मांग रही। 2840 मेगावाट उत्पादन क्षमता के राज्य बिजली कंपनी से 2015 मेगावाट के करीब ही बिजली उत्पादन हुआ। 500 मेगावाट उत्पादन बाधित रहा। मड़वा पावर प्लांट की दो नंबर की इकाई बायलर ट्यूब लीकेज से उत्पादन से बाहर हो गई है। बावजूद इसके राज्य बिजली उत्पादन कंपनी ने मांग के अनुरूप उपलब्धता को बनाए रखा। इसमें सेंट्रल सेक्टर बड़ा सहारा बनीं। यहां से पीक अवर में 2500 मेगावाट तक बिजली लेकर मांग व आपूर्ति के सामंजस्य को बनाए रखा। दूसरी ओर कंपनी के एचटीपीपी, डीएसपीएम संयंत्र की इकाइयों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। 1340 क्षमता के एचटीपीपी से 1139 मेगावाट, 500 क्षमता के डीएसपीएम से 467 और मड़वा प्लांट की 500 मेगावाट की एक नंबर इकाई से 438 मेगावाट तक बिजली उत्पादन हो रहा है।
Posted By: Yogeshwar Sharma