कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। साउथईस्टर्न कोलफिल्ड लिमिटेड (एसईसीएल) में कार्यरत दीपका कालोनी निवासी कर्मी की अंधी हत्या के मामले को पुलिस ने सुलझा लिया है। हत्या की साजिश उसकी पत्नी ने रची और क्षेत्र के ही एक परिचित युवक को सुपारी देकर हत्या कराई। पांच लाख रूपये में सौदा तय हुआ था और 50 हजार रूपये अग्रिम राशि दी थी। वैवाहिक वर्षगांठ के दिन ही परिचित ने टांगी मार हत्या कर दी। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपित को पत्नी ने छह हजार रूपये और जेवर भी भागने के पहले दिए। शराब पीकर मारपीट किए जाने से क्षुब्ध पत्नी ने यह कदम उठाया।
दीपका परियोजना में कार्यरत जगजीवन राम रात्रे के विभागीय आवास क्रमांक एमक्यू-सात उर्जानगर दीपका अपनी पत्नी व बच्चों के साथ निवास करता था। 25 मई की रात को घर में घुसरकर धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। घटना के वक्त पत्नी धनेश्वरी रात्रे 32 वर्ष घर पर थी। पत्नी का बयान पुलिस के गले नहीं उतरी और संदेह की सुई उस जा टिकी है। दरी सीएसपी राबिनसन गुड़िया ने बताया कि पहले तो वह पुलिस को गुमराह करती रही, पर सख्ती से पूछे जाने पर वह टूट गई और अपना अपराध कबूल कर लिया। उसने बताया कि करीब 10 साल पहले उसकी शादी जगजीवन के साथ हुई। प्रारंभ से वह शराब पीकर उसके साथ मारपीट करता था। वह यह सोचकर उसके साथ रही कि आगे चलकर सबकुछ ठीक हो जाएगा पर पति आदत से बाज नहीं आया।
अंतत: उसके सब्र का बांध टूट गया और पति को ठिकाने लगाने की ठान ली। वह कृष्णानगर में रहने वाले आदतन बदमाश तुषार सोनी उर्फ गोपी को जानती थी। उससे संपर्क कर धनेश्वरी ने पति की हत्या के लिए पांच लाख देने का प्रस्ताव रखा। पैसे की लालच में आकर वह तैयार हो गया। बतौर अग्रिम राशि धनेश्वरी ने उसे अपने गहने बेच कर दिए। शेष पैसे काम होने के बाद देने का वादा किया। 24 मई की रात 12 बजे आरोपित घर पहंुचा और दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलते ही कुछ देर की इधर उधर की बाते की और फिर टांगी से सिर पर वार कर हत्या कर दी। भागने से पहले धनेश्वरी ने छह हजार रूपये व अपने गहने उतार कर दिए। पुलिस ने आरोपित की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त टांगी, बाइक, घटना के समय पहने कपड़े व जूता को जब्त कर लिया है। पुलिस ने धारा 302,120 (बी), 34 के तहत कार्रवाई करते हुए दोनों को न्यायिक रिमांड पर न्यायालय प्रस्तुत कर जेल भेज दिया।
टांगी लेकर बाइक से पहुंचा था घर
पुलिस को आरोपित तुषार ने बताया है कि वह अपने एवेंजर बाइक मंे टांगी लेकर पहुंचा था। जगजीवन ने दरवाजा खोला, उससे कहा कि उसकी पत्नी के बारे में वह कुछ बताना चाहता है। इसी बीच उसने पीने के लिए पानी मांगा। इसके लिए जैसे ही वह अंदर गया वह बाइक टांगी ले आया और उसके उपर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। रक्त रंजित अवस्था में ही वह फर्श पर गिर गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
छुपकर देखती रही पति की हत्या होते
आरोपिता धनेश्वरी पुलिस को बताया कि घटना का दिन और समय पहले ही तय कर लिया गया था। रात को दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो वह समझ गई कि तुषार आ गया। वह जानबूझ कर पति को दरवाजा नहीं खोलने की हिदायत दी, पर वह दरवाजा खोलने चला गया। धनेश्वरी छुपकर पति की हत्या करने की घटना को देखती रही। जैसे ही उसकी मौत हुई वह आरोपित को वायदे के मुताबित छह हजार नकद व गले में पहने सोने का हार दे दिया। उसके भागने के बाद अपने भाई शिवकांत को फोन लगाकर अज्ञात हमलावरों की झूठी कहानी सुनाई।
इसलिए आई जांच के दायरे में
घटना के बाद जांच के लिए पहुंची पुलिस को धनेश्वरी यह कहकर गुमराह करती रही कि रात को दरवाजा खटखटाने की आवाज पर उसके पति ने दरवाजा खोला। मैने कमरे के अंदर से आवाज लगाकर पूछा तो उन्होने दोस्त के आने की बात कहीं। अचानक हमला किए जाने से पति के चीखने की आवाज आई वह काफी डर गई थी। हमलावर उसके दोनों बच्चांे की भी हत्या कर देगा। इस वजह से अंदर दुबकी रही और हमलावर को देख नहीं पाई। यही बात पुलिस को खटक गई और वह जांच के दायरे में आ गई।
पहले ही उतार देता मौत के घाट यदि नहीं जाता जेल
धनेश्वरी ने हत्या का सौदा करने के बाद मार्च 2023 में 50 हजार रूपये की अग्रिम राशि जेवर बेचकर तुषार को दी थी। हत्या को अंजाम देता इसके पहले एक्ट्रोसिटी एक्ट के पुराने वारंट पर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दी। अभी कुछ दिनों पहले वह जेल से छुटकर वापस आया था। इस बीच लगातार उससे मोबाइल से संपर्क कर एडवांस लेने के बाद भी काम नहीं करने की बात कह दबाव बना रही थी। अंतत: अंतिम योजना बनी और दोनों ने मिलकर घटना को अंजाम दिया।
पकड़े जाने के डर से फेंकवा दी थी मोबाइल तोड़कर
घटना को अंजाम देने के बाद आरोपित को धनेश्वरी ने अपना मोबाइल तोड़कर फेंकने के लिए तुषार को दे दिया और उसने वैसा ही किया। धनेश्वरी को डर था कि सायबर सेल उसके और आरोपित के बीच हुए संपर्क का पता लगा लेगी। इससे उसका पोल खुल जाएगा। बचने के तमाम कवायदों के बाद भी गुनाह सामने आ गया और पुलिस ने साक्ष्य भी एकत्रित कर लिए। घटना से पहले दोनों के बीच कितनी बार बातचीत हुई इसका ब्यौरा पुलिस ने नंबर के आधार पर निकाल लिया है। पुलिस ने मोबाइल के बारे में पूछा तो वह इतना ही कहती थी कि पता नहीं कहां गुम गया है।
मुआवजे की 1.80 करोड़ को लेकर भी विवाद
पुलिस ने बताया कि मृतक जगजीवन राम की बिलासपुर व हरदीबाजार में जमीन थी। बिलासपुर की जमीन रेलवे में अधिग्रहित होने की वजह से एक करोड़ मुआवजा के रूप में राशि मिल रही थी। इसी तरह हरदीबाजार क्षेत्र की जमीन एसईसीएल खदान में समाहित होने की वजह से 80 लाख मुआवजा मिलने वाला था। जगजीवन राम उक्त रकम को अपने स्वजनों को देना चाहता था। यह बात धनेश्वरी को पसंद नहीं आ रही थी और वह इसका विरोध कर रही थी। इस बात को लेकर दोनों के मध्य कई बार विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई। इससे धनेश्वरी नाराज थी और हत्या करने की योजना बना डाली।
Posted By: Yogeshwar Sharma