कोरबा । कोलवाशरी खरीदने के लिए कोयला परिवहन घोटाले का काला धन सूर्यकांत तिवारी के पास था, लेकिन रजिस्ट्री कराने के लिए एक नंबर के धन की आवश्यकता थी। इसके लिए सूर्यकांत ने रायपुर के कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल से 25 करोड़ रुपये लिए। इसके एवज में उसे 25 रुपये प्रतिटन के हिसाब से वसूला गया कालाधन लौटा दिया था।
500 करोड़ रुपये के कोयला परिवहन घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रही। इस मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ की जा रही है। रायपुर स्थित अस्थाई कार्यालय में बुलाकर बयान लिया जा रहा। इस बीच नई जानकारी आई है कि रायपुर में रहने वाले कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और सूर्यकांत तिवारी के बीच बड़ा लेनदेन हुआ था। कोरबा जिले के कोथारी के पास जमनीपाली गांव में इंडस उद्योग प्राइवेट लिमिटेड (कोलवाशरी) को खरीदने के लिए सुनील अग्रवाल की मदद सूर्यकांत ने ली। रजिस्ट्री के दस्तावेजों में कोलवाशरी की कीमत केवल 25 करोड़ रुपये दर्शायी गई है। इसलिए यह राशि सुनील अग्रवाल की कंपनी से मां मड़वारानी कोल बेनिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड को दिलाई गई। सूत्रों का दावा है कि इसके एवज में सूर्यकांत ने सुनील अग्रवाल से वसूले गए 25 रुपये प्रतिटन की राशि को लौटा दिया। जुलाई में आयकर विभाग के छापे के बाद कोलवाशरी का स्थानांतरण केजेएसएल नामक कंपनी को कर दिया गया। इस कंपनी में भी पहले सुनील एमडी रहा, बाद में उसने यहां से भी अपना नाम हटा लिया। यहीं नही, उसने आधा दर्जन कंपनी केएल एनर्जी एंड कोल बेनिफिकेशन, इंद्रमणि मिनरल्स, बाइट एंड मिनरल्स, गीता रिमल, बस्तर बिल्डकाम, राजिम इंफ्रास्ट्रक्चर, राजिम रीयल स्टोर व लायन हैंड स्पोर्टस से भी नाता तोड़ लिया। आयकर के छापे के बाद अपने बचाव के लिए सूर्यकांत गैंग ने कई तरह के हाथ-पांव मारे, लेकिन पोल खुल गई। लेन-देन के सबूत मिलने पर ईडी ने सुनील अग्रवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
Posted By: Yogeshwar Sharma
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