कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। वर्ष 2019 से जल जीवन मिशन की शुरूआत हुई है। तीन साल बीत जाने के बाद के बाद भी 703 में केवल 15 गांवों में ही पानी पहुंच सका है। 688 गांव अभी भी पुराने हैंडपंप, कुंआ या फिर नलजल योजना पर निर्भर हैं। 300 ऐसे गांव हैं जहां ग्रीष्म की शुरूआत से ही जल संकट शुरू
हो जाती है। 925 करोड़ की लागत से वर्ष 2024 तक मिशन के तहत घर-घर जल पहुंचाना है लेकिन क्रेडा और पीएचई के सहयोग से चल रहे काम में आपसी तालमेल नहीं होने की वजह से काम को समय पर पूरा हो पाना
मुश्किल नजर आ रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से जल जीवन मिशन से घर-घर पानी पहुंचाने के लिए योजना बनाई गई है। जिले में 412 ग्राम पंचायत 703 गांवों में विभक्त हैं। इनमें 445 गांवों को समूह जल आवर्धन योजना से पानी दिया जाना हैं। इनमें बांगो बांध से एतमानगर, हसदेव नदी से कुदुरमाल एनीकट, डूबान क्षेत्र से सतरेंगा जैसे वृहत योजना शामिल है। इसके लिए 799 करोड़ खर्च किया जाना है। योजना का प्राक्कलन तैयार होने के तीन साल बीतने के बाद एक भी समूह नल जल योजना धरातल में आना तो दूर शुरूआत भी नहीं हुई है। समूह जल योजना केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया है। शेष 238 गांवों को अलग-अलग स्त्रोतों से पानी देने की योजना है। इसके लिए 126 करोड़ रूपये प्रस्तावित है। योजना को मूर्त रूप देने का काम पीएचई और क्रेडा के माध्यम से कराया जा रहा है। पीएचई का कार्य जल स्त्रोत से शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना है। क्रेडा का काम पाइप लाइन बिछाना व सौर उर्जा से मोटर चालू कर घरों तक जल प्रदाय करना है। 113 ऐसे गांव हैं जहां जल स्त्रोत ढूंढने के साथ बोर भी लगाया जा चुका है लेकिन पाइप लाइन नहीं बिछने के कारण घरों तक पानी पहुंचाना संभव नहीं हो सका है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दो साल तक निर्माण कार्य में कोरोना काल की बाधा रही रही। इसके साथ ही समय पर राशि नहीं मिलने के कारण कार्य शुरू करने में देरी हो रही है। योजना शुरू होने से जिले के 23 हजार 288 परिवारों को घर में ही पानी मिलेगा।
121 हैंडपंप बंद, ग्रीष्म में निदान की तैयारी नहीं
जिले में पीएचई के 14 हजार 454 हैंडपंप है, जिनमें 121 में जल स्त्रोत कम होने कारण कारण अभी से बंद हो चुके हैं। ग्रीष्म का दौर शुरू हो चुका है विभाग की ओर अभी तक मोबाइल उड़नदस्ता टीम का गठन नहीं किया गया। हैंडपंप के भरोसे पेयजल निर्भर वाले गांवों की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। निस्तारी के तालाब व नालों में पानी कम होने की वजह से लोग अब हैंडपंप पर ही आश्रित होने लगे हैं। अधिक भार पड़ने के कारण भी हैंडपंप बंद होेने के कगार पर आने लगे हैं।
जल जीवन मिशन के तहत 15 गांवों काम पूर्ण हो चुके हैं। 703 में 445 गांवों को समूह जल प्रदाय योजना से जोड़ा गया है। जिसमें सबसे बड़ी एतमानगर योजना को प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई है। ग्रीष्म में जल संकट की स्थिति नहीं आने दी जाएगी। एक अप्रैल सभी विकासखंडों में हैंडपंप सुधार टीम रवाना किया जाएगा।
-अनिल बच्चन, मुख्य कार्यपालन अभियंता, पीएचई।
Posted By: Yogeshwar Sharma
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