रायगढ़ (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरबा के जंगल से 20 से अधिक हाथियों का दल रायगढ़ जिले के छाल क्षेत्र की ओर आ गया है। कोरबा के प्रभावित ग्रामीणों व विभाग की टीम ने राहत महसूस की, लेकिन वन मंडल धरमजयगढ़ के छाल रेंज के वनवासी और वन विभाग के लिए यह मुसीबत साबित होने लगा है। हाथियों के दल से एक हाथी भटकरक छाल के कीदा गांव के बीच बस्ती में शनिवार सुबह तकरीबन छह बजे के आसपास एक नर हाथी आ धमका। जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। किंतु जंगली हाथी को देख ग्रामीण उसे खदेड़ने के बजाए उसे हाथी भगाओ नही बचाओ का उपाय करते हुए रास्ता देने की कवायद करते रहे। ताकि जानमाल व हाथी सुरक्षित तरीके से जंगल जा सके।
रायगढ़ जिले के दोनों वन मंडल लंबे समय से हाथियों की मौजूदगी से प्रभावित है। ग्रामीण के लिए यह काल बने हुए हैं। अब 24 घंटे के भीतर कोरबा जिले के हाथी नौ हाथियों का दल वन मंडल धरमजयगढ़ में बच्चों समेत प्रवेश कर गया है। हाथियो के आने से अब पहले से भयभीत ग्रामवासी इनके आपसी संघर्ष को लेकर डरे सहमे हुए है। दरअसल ग्रामीण व वन विभाग की टीम का मानना है कि हाथियों के झुंड आपस मे मिलने से बधो की वजह से टकराव की स्थिति में रहेंगे और इसी आक्रमकता की वजह से जनहानि आर्थिक क्षति बढ़ेगी। यहां यह बताना लाजमी होगा कि जिले के दो वन मंडल में सबसे अधिक
धरमजयगढ़ वनांचल इलाका हाथी प्रभाव व उग्रता के लिए जाना जाता है ।
यहां जंगलों के बीच प्रभावित आदिवासी गांव होने से हाथी व मानव द्वंद की घटनाएं सामने आती रहती है हाथी जंगल वनोपज लेने गए व्यक्ति से जब उनका सामना होता है तो उसे
आक्रमकता के साथ मौत की नींद तक सुला देते हैं। इन सभी के बीच एक हाथी झुंड से बिछड़कर कीदा गांव आ गया । सुबह व बारिश होंने के चलते ग्रामीणों की आवाजाही कम था। जब ग्रामीणों को इसकी भनक हाथी के चिंघाड़ से ज्ञात हुआ तो वे सहम गए ततपश्चात काफी शोरगुल होहल्ला किए तब कही जाकर किसी तरह हाथी को जंगल की तरफ भगाया गया। हालाकि इस दौरान किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की खबरे नही आई लेकिन इस तरह अचानक दंतैल हाथी के रिहायशी इलाके में आमद के बाद पूरे इलाके में डर का माहौल बना हुआ है।
जान-माल की रक्षा के लिए रतजगा कर रहे ग्रामीण
देखा जाए तो इस क्षेत्र में पूर्व में भी हाथी की आमद हो चुकी है हाथी फसल से लेकर आर्थिक जनहानि भी तोड़फोड़ कर पहुंचा चुके हैं इसके अलावा करंट की चपेट में आकर हाथियों की लगातार मौत भी होने का मामला सामने आ चुका है जिसमें दो साल में आठ हाथी की जान जा चुकी है यही वजह है कि ग्रामीण जन संवेदनशील होते हुए पूरी तरह से सतर्कता बरत रहे ताकि हाथी एवं ग्रामीणों को किसी तरह की कोई भी दिक्कत न हो।
पहले से धरमजयगढ़ वन क्षेत्र में है हाथियों का डेरा
रायगढ़ जिले में दो मंडल है जिसने सबसे अधिक प्रभावित हाथी के मामले में धरमजयगढ; क्षेत्र है यहां गेरसा अमरपाली जलगांव, जबगा, समेत अन्य दर्जन भर से अधिक प्रभावित गांव है इन गांव को अतिसंवेदनशील श्रेणी में वन विभाग द्वारा रखा गया है। वही यहां पूर्व से करीब 43 हाथी विचरण कर रहे है। जीना जिले व दूसरे जिले में आना जाना भोजन की तलाश में लगा हुआ रहता है।
Posted By: Yogeshwar Sharma
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