0 22 प्रभावितों को अब भी नौकरी का इंतजार

0 दो एकड़ से कम वालों को नहीं देने पर एसईसीएल को हाईकोर्ट की दो टूक

नईदुनिया एक्सक्लूसिव

रायगढ़ । नईदुनिया न्यूज

लात प्रभावितों में सालों बाद भी नौकरी आस बची है। लात प्रभावित 22 परिवारों की कोल ब्लॉक में दो एकड़ से कम जमीन गई है। लेकिन एसईसीएल ने दो एकड़ से कम जमीन पर नौकरी का प्रावधान नहीं होने की बात कहते हुए या तो दो एकड़ जमीन पूरा कर नौकरी लेने या फिर नौकरी भुल जाने की बात कही। खास बात यह है कि इनमें 11 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने दूसरों से जमीन खरीदकर किसी तरह दो एकड़ जमीन पूरा कर चुके हैं। बावजूद इसके इन्हें अब तक नौकरी नहीं मिली है।

अब लात प्रभावित 22 परिवारों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद नौकरी की आस जग गई है। हाईकोर्ट ने नरईडीह कोरबा के याचिकाकर्ता सुरेन्द्र प्रसाद राठौर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 अगस्त 2016 को एसईसीएल को उनके नियमों पर जमकर फटकार लगाते हुए दो एकड़ से कम जमीन वालों को भी नौकरी देने का आदेश जारी किया है। इस केस में हाईकोर्ट ने रायगढ़ की महिला याचिकाकर्ता रत्थोबाई के केस का भी हवाला दिया है। जिसमें कहा कि एसईसीएल महिला प्रभावितों को नौकरी नहीं होने का प्रावधान बनाकर उनको अधिकार से वंचित करने का हवाला दिया। विदित हो कि लात महिला प्रभावित रत्थो बाई राठिया ने हाईकोर्ट में महिलाओं को नौकरी नहीं दिए जाने के मामले में याचिका दायर की थी। मामले में हाईकोर्ट ने महिला प्रभावितों को नौकरी देने का आदेश दिया। जिसके बाद रत्थोबाई को एसईसीएल ने नौकरी दी। अब दो एकड़ से कम जमीन के मामले में एसईसीएल के विरुद्घ नरईबोध कोरबा के सुरेन्द्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए नौकरी दिए जाने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद लात प्रभावित भी आदेश की कापी के साथ एसईसीएल में नौकरी की मांग करने की तैयारी कर रहे हैं।

दो एकड़ पूरा करने के बाद भी नहीं मिली नौकरी

खास बात यह है कि दो एकड़ से कम जमीन के प्रभावित परिवारों में से 11 ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने एसईसीएल की शर्तानुसार दो एकड़ जमीन की बाध्यता को पूरा किया। उनके द्वारा जैसे तैसे कोल ब्लॉक प्रभावित क्षेत्र के आसपास के किसानों से मिन्नतें कर नौकरी के नाम पर जमीन ली और एसईसीएल को दिया। ताकि उनके परिवार के सदस्य को नौकरी मिल सके और जीवकोपार्जन का साधन मिले। लेकिन इन 11 परिवारों द्वारा दो एकड़ की बाध्यता पूरी करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल सकी है।

हाईकोर्ट फैसले के आधार पर मांगेंगे नौकरी

अब प्रभावित परिवार जिनकी दो एकड़ से कम जमीन कोल ब्लॉक में गई है, उनके लिए हाईकोर्ट का 24 अगस्त का आदेश वरदान साबित होगा। प्रभावित ग्रामीण नरईबोध कोरबा विरुद्घ एसईसीएल के आदेश की कापी लाकर नौकरी मांगने की तैयारी में जुट गए हैं। विदित हो कि हाईकोर्ट द्वारा 23 जुलाई 2015 को एसईसीएल को लिंगभेद करने के मामले में फटकार लगाते हुए महिलाओं को नौकरी देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट द्वारा एसईसीएल के बनाए नियमों को मानने से साफ तौर पर इंकार करते हुए नौकरी देने का आदेश दिया था।

फैक्ट फाइल

भू-प्रभावित ग्रामीण

जिसकी दो एकड़ से कम जमीन गई दो एकड़ जमीन की बाध्यता पूरा करने वाले

1. गजभरन पिता गनपद राठिया 1. ओंकार सिंह पिता गनपत सिंह

2. समारु बरेठ पिता जोतराम बरेठ 2. दर्शन सिंह पिता गनपद सिंह

3. संतोष राठिया पिता हीरा सिंह राठिया 3. जयकिशन सिंह पिता मुनुसिंह

4. रामेश्वर राठिया पिता भगतराम राठिया 4. सुभाष राठिया पिता निरंजन राठिया

5. श्रुतीलाल चौहान पिता महेत्तर राम चौहान 5. कन्हैया साहू पिता बलिराम

6. महेत्तर निषाद पिता जुगलाल निषाद 6. चैतराम पिता मंगल सिंह

7. नरेश साहू पिता घसिया साहू 7. उत्तरा राठिया पिता कंचराम राठिया

8. श्रवण निषाद पिता अंतराम निषाद 8. होरीलाल पिता रामप्रसाद राठिया

9. हेतराम साहू पिता विद्याधर साहू 9. नत्थु सिंह पिता हरि सिंह

10. सेतराम साहू पिता विद्याधर साहू 10. कांता साहू पिता उद्घव साहू

11. पुनीराम साहू पिता भागीरथी साहू 11. टंकेश्वर साहू पिता श्यामलाल

हमें जब पता चला कि नरईबोध कोरबा के सुरेन्द्र प्रसाद राठौर की याचिका पर हाईकोर्ट ने दो एकड़ से कम जमीन की बाध्यता को नहीं माना है और एसईसीएल के विरुद्घ फैसला देते हुए याचिकाकर्ता को नौकरी देने का आदेश दिया है। इसके बाद हाईकोर्ट के उस आदेश की कापी मंगाए हैं। अब हम एसईसीएल से इस आदेश के आधार पर नौकरी मांग करने की तैयारी कर दिए हैं।

पूनीराम साहू

लात प्रभावित

एसईसीएल द्वारा यदि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी दो एकड़ से कम प्रभावित परिवारों को नौकरी नहीं देता है, तो एसईसीएल को फिर से कोर्ट में खड़ा कर विरुद्घ उग्र आंदोलन किया जाएगा। पहले ही एसईसीएल द्वारा दो एकड़ पूरा करने वालों को अब तक नौकरी नहीं दी है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रभावित परिवारों में उम्मीद की एक नई किरण जागी है।

राजेश त्रिपाठी

सामाजिक कार्यकर्ता

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