रायपुर। राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीबों व वंचित वर्ग के अभिभावकों के नौनिहालों की निश्शुल्क पढ़ाई को तगड़ा झटका लगा है। आलम यह है कि प्रदेश में 28 हजार सीटें घटा दी गई हैं। जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने पिछले वर्षों में हुए दाखिले का आधार बताकर आरटीई का प्रतिशत फिक्स करा दिया है। इससे सीटें कम हो गई हैं।
अफसरों की नई नीति से घटी सीटें
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी तरह के नियमों में बदलाव के लिए अधिनियम में बदलाव करना होता है। ऐसे में पिछले वर्षों में किस आधार पर 80 हजार सीटें आरक्षित बताई जाती थीं और अभी किस आधार पर सीटें घटाई गई हैं, यह प्रश्न खड़ा हो गया है।
पिछले वर्ष 80 हजार थी अब हुई 52,056
हालांकि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोई भी बच्चा दाखिले से वंचित नहीं होगा। पिछले वर्ष प्रदेशभर की आरटीई की 80 हजार से अधिक सीट रही है। इस वर्ष अधिकारियों की नीति के चलते घटकर 52,056 रह गई हैं। जबकि निजी स्कूलों की संख्या पहले की तरह ही 6498 है। इन स्कूलों में प्रति कक्षा में यदि आरटीई के नियम के अनुसार 25 प्रतिशत सीट मानें तो 10 सीट होना ही चाहिए, क्योंकि एक कक्षा में अधिकतम 40 विद्यार्थियों का कोटा माना जाता है।
अभी तक आए इतने आवेदन
आरटीई के तहत दाखिले की प्रक्रिया श्ाुरू हो चुकी है। इस वर्ष 52,056 सीटों के लिए अभी तक 47,772 आवेदन आ चुके हैं। आवेदन की प्रक्रिया 10 अप्रैल तक चलेगी। पिछली बार 80 हजार सीटों के लिए 82 हजार से ज्यादा आवेदन मिले थे। हालांकि पिछले साल दो चरण में प्रवेश के बाद भी 25 हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई थी।
पात्रता के लिए पहले से ही कड़े नियम
आरटीई में पात्रता के लिए पहले से ही कड़े नियम है। जिन अभिभावकों का नाम शहरी इलाकों में 2007 और ग्रामीण इलाकों में 2002 की जनगणना के अनुसार गरीबी रेखा की श्रेणी में या फिर 2011 की जनगणना के अनुसार गरीबी की श्रेण्ाी में हो। इसके तहत अंत्योदय कार्डधारी परिवार के नौनिहालों को नर्सरी और कक्षा एक में दाखिला दिया जाएगा। पहले सभी एंट्री क्लास में दाखिला दिया जाता रहा है।
पंजीयन नहीं कराने वालों पर हो कार्रवाई
शिक्षा का अधिकार फोरम के प्रदेश संयोजक गौतम बंधोपाध्याय ने कहा, सरकार के पास आरटीई के लिए वार्षिक योजना होना चाहिए। इतने बच्चों का दाखिला होगा इसके लिए लक्ष्य रखा जाना चाहिए। जिन स्कूलों ने अभी तक पंजीयन नहीं कराया है उनकी मान्यता रद होना चाहिए। इसमें कोई राज्यांश कम देने के लिए कोई साजिश तो नहीं है। बच्चे आरटीई के लाभ से वंचित न हो इसके लिए सरकार को काम करना चाहिए। जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा का खटखटाया जाएगा और वंचितों को उनका हक दिलाया जाएगा।
कोई लाभ से वंचित नहीं होगा
स्कूल शिक्षा प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने कहा, सीटों को कम करने का कोई आधार नहीं है। जितनी सीटों पर दाखिला होता था उतनी सीटों पर दाखिला इस वर्ष भी होगा। किसी भी विद्यार्थी को लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।
शिक्षण सत्र कुल सीटें दाखिला प्रतिशत
2018-19 80,109 40,216 50.20
2019-20 84,468 48,119 56.9
2020- 21 81,356 52,676 64.75
2021-22 83,006 47,382 53.60
2022-23 80,000 55,000 68.75
Posted By: Ashish Kumar Gupta