गिरीश वर्मा/रायपुर। उम्र के साथ आदमी का शरीर भी कमजोर होता जाता है। एक समय के बाद दौड़ना तो क्या पैदल चलने में भी तकलीफ होती है, लेकिन राजधानी के टिकरापारा में रहने वाले पवन की कहानी इससे कुछ अलग है। वह नाम की तरह ट्रैक पर पवन के वेग की तरह ही दौड़ते हैं। 63 वर्षीय पवन धनगर की गति इतनी तेज है कि इनके आगे युवा नहीं टिक पाते हैं। अपनी इस प्रतिभा के कारण पवन ने ना सिर्फ राज्य स्तरीय बल्कि कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल भी अपने नाम किए हैं। हरियाणा के द्रोणाचार्य स्टेडियम कुरुक्षेत्र में फरवरी में आयोजित चौथे राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 60 से अधिक वर्ग में पवन ने 1500 मीटर, 5000 मीटर और 10000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम कर पूरे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया।

26 की उम्र में लगाई पहली दौड़

रायपुर कलेक्ट्रेट में सहायक ग्रेड दो के पद से सेवानिवृत्त हुए पवन धनगर ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन की पहली रेस वर्ष-1986 में लगाई थी। आदर्श समिति द्वारा आयोजित पांच किलोमीटर रोड रेस में उनको तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था। इसी जीत से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा। दिल्ली में वर्ष-2010 में आयोजित हुए कामनवेल्थ गेम्स के एथलेटिक्स में निर्णायक की भूमिका पवन ने निभाई थी।

जगने के लिए नहीं लगाना पड़ता अलार्म

पवन धनकर सुबह चार बजे से उठ जाते हैं। इसके बाद वे पांच बजे ग्राउंड पर दौड़ लगाने के लिए पहुंच जाते हैं। वे सुबह दो घंटे और शाम को एक घंटे दौड़ की प्रैक्टिस करते हैं। वह प्रैक्टिस के लिए कोटा स्टेडियम या फिर कहीं अन्य मैदान पर जाते हैं। उन्होंने बताया कि कई जगह सिंथेटिक ट्रैक नहीं मिल पाता तो कई बार रोड में ही दौड़ लगानी पड़ती है, इसलिए सप्ताह में एक दिन रोड रेस करते हैं।

डाइट है जरूरी

पवन ने बताया कि फुर्तीले होने के लिए डाइट बहुत जरूरी है। एथलीट के रूप में कोई व्यक्ति जूस, दूध, अंडा और इलेक्ट्राल पाउडर ले सकता है। डाइट का ध्यान रखना जरूरी होता है। समुचित डाइट से शरीर में एनर्जी आती है।

लगा चुके है मेडल का शतक

पवन धनगर मेडल का शतक लगा चुके हैं। उनके नाम 100 से अधिक राज्यीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल हैं। वर्ष-2002 मलेशिया में दो स्वर्ण, 2004 में थाइलैंड में दो रजत, 2006 चीन में चौथे पायदान में, 2017 श्रीलंका में तीन स्वर्ण, 2019 थाइलैंड में दो कांस्य पदक और पिछले वर्ष दिसंबर में बांग्लादेश में आयोजित अंतरराष्ट्रीय एथेलेटिक्स स्पर्धा में तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे।

समय में खाना सोना और अभ्यास है जरूरी

उम्रदराज होने के बाद भी पवन की शारीरिक क्षमता और लोगों से कहीं अधिक है। उन्होंने इसके बारे में बताया कि समय पर खाना सोना और अभ्यास करें तो थकावट नहीं होगी। शरीर चुस्त-दुरुस्त और फुर्तीला रहेगा, चाहे उम्र कितनी भी हो।

नशे से बचें

लोगों को संदेश देते हुए पवन धनगर ने कहा कि सभी को नशे से बचना चाहिए। नशे से स्टेमिना डाउन होता है, साथ ही पैसों और शरीर दोनों की बर्बादी होती है। इसके बदले ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। एथलेटिक खिलाड़ियों के लिए पवन धनगर ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा और नियमित अभ्यास ही एक एथलेटिक्स को सफलता दिलाती है।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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