-त्वचा से संबंधित सामान्य सी लगने वाली बीमारी हो सकती है घातक
-अधिक लोगों से असुरक्षित यौन संबंध या ओरल सेक्स से फैल रहा वायरस
-एचपीवी से शरीर के अलग-अलग मस्से जैसा एकत्रित होता है मांस
नंबर गेम
02 फीसद या अधिक प्रदेश में एचपीवी से पीड़ित
20 से 30 फीसद लोगों की बीमारी खुद से ही होती है ठीक
60 फीसद केस महिलाओं में तो 40 फीसद पुरुषों में
100 प्रतिशत इलाज है संभव, लेकिन जागरूकता जरूरी
आकाश शुक्ला
रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) त्वचा संबंधी ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर के विभिन्ना हिस्सों में मस्से जैसा मांस एकत्रित होता है। यह वायरस होने के बाद भी कई व्यक्तियों की जिंदगी सामान्य चलती है, तो कुछ के लिए यह कैंसर जैसी घातक बीमारी भी लेकर आता है।
आंबेडकर अस्पताल के चर्मरोग विशेषज्ञ डॉ. मृत्युंजय सिंह के अनुसार यह वायरस शारीरिक संबंध बनाने पर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। अधिकांश लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। गले, पीठ या शरीर के अन्य हिस्सों में मस्से जैसा मांस का निकल आना इस बीमारी का लक्षण है। इससे दर्द महसूस नहीं होता और किसी तरह की परेशानी नहीं होती। यह बीमारी शरीर में आमतौर पर कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं डालती। लेकिन शरीर के संवेदनशील हिस्से में होने से यह वायरस कैंसर जैसी जटिल बीमारी को जन्म देता है। कह सकते हैं कि प्रदेश में लगभग दो फीसद से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित होंगे।
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आंबेडकर अस्पताल में हर दिन 10 मरीज
चिकित्सक ने बताया कि सामान्य दिनों में त्वचा संबंधी बीमारी के लगभग 300 से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं। इनमें लगभग आठ से 10 मरीज हृयूमन पेपिलोमा वायरस से पीड़ित होते हैं। अस्पताल में सर्जरी और दवा के माध्यम से आम एचपीवी ठीक हो जाता है। संवेदनशील अंगों में यह परेशानी खड़ा करता है। शरीर के अंगों के हिसाब से चिकित्सा विशेषज्ञ इसका इलाज करते हैं।
गर्भाशय या गुप्तांग में कैंसर का खतरा
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. भरत सिंघानिया ने बताया कि असुरक्षित शारीरिक संबंध या यौन संबंध से अधिक फैलने वाली इस बीमारी में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक खतरा होता है। पुरुषों में लगभग 30 से 40 तो महिलाओं में इसकी संख्या 60 से 70 फीसद तक होती है। इसकी समय पर इलाज व जांच जरूरी है।
इस तरह हो सकते हैं संक्रमित
-असुरक्षित यौन संबंध बनाने से
-शारीरिक संपर्क से
-संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से।
कैसे बचें
-शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं।
-असुरक्षित या एक से अधिक से यौन संबंध से बचें।
-लक्षण या संदेह की स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लें।
वर्जन
एचपीवी बहुत ही गंभीर बीमारी नहीं है। हमारे यहां हर दिन 8 से 10 मरीज इलाज को पहुंचते हैं। गुप्तांग या संवेदनशील अंगों में बीमारी होने पर बड़ी परेशानी हो सकती है। इसलिए जागरूक रहें, सात्विक जीवनशैली अपनाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और चिकित्सकीय सलाह लें।- डॉ. मृत्युंजय सिंह, चर्मरोग विशेषज्ञ, आंबेडकर अस्पताल
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वर्जन
अधिक लोगों से असुरक्षित शारीरिक संबंध से एचपीवी फैलने का खतरा रहता है। मेरे पास महीने भर में 10 से 15 केस आते हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को इससे समस्या अधिक होती है। यह यूट्रस कैंसर की वजह भी बन सकता है। इसलिए लोगों को बीमारी को लेकर जागरूक रहना जरूरी है।
डॉ. भरत सिंघानिया, त्वचारोग विशेषज्ञ
Posted By: Nai Dunia News Network