रायपुर। (राज्य ब्यूरो) Bhanupratappur By election Special: छत्तीसगढ़ के उप चुनावों में हर बार जीत सत्ता की रही है। इसे एक संयोग कहें या फिर सत्ता पक्ष की सरकार का प्रभाव, मगर छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण के बाद अब तक हुए 13 विधानसभा के उप चुनावों के परिणाम कुछ यही बयां करते हैं। यहां हर बार सत्ता पक्ष की जीत हुई है। हालांकि इनमें केवल एक अपवाद है जो कि आज भी याद किया जाता है जब 2006 में कोटा में हुए उप चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी डा. रेणु जोगी ने जीत हासिल की थी। पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के कार्यकाल में कोटा में डा. जोगी की जीत काफी चर्चित रही है।
डा. जोगी पहले विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के निधन के बाद कोटा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी जीती थीं। इसके बाद से प्रदेश में लगातार हुए उप चुनावों में सत्ता पक्ष ने ही अपना परचम लहराया है। अभी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार में अब तक चार उप चुनाव हो चुके हैं कांग्रेस की ही जीत हुई है। भानुप्रतापुर में पांच दिसंबर 2022 को होने जा रहे उप चुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। मगर परिणाम अभी भविष्य के गर्त में है। दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है।
अंतागढ़ के बाद भानुप्रतापुर का चुनाव ने बटोरी सुर्खियां
प्रदेश में अभी जिस तरह भानुप्रतापुर का उप चुनाव सुर्खियों में हैं उसी तरह सबसे चौकाने वाला उप चुनाव अंतागढ़ का था। 2014 में अंतागढ़ के तत्कालीन विधायक विक्रम उसेंडी को भाजपा कांकेर लोकसभा सीट से उतारा। उसेंडी जीते और सांसद बन गए। इसी साल में अंतागढ़ में उपचुनाव हुए। इसमें भाजपा से भोजराज नाग और कांग्रेस से मंतूराम पवार प्रत्याशी थी। नामांकन वापसी के अंतिम दिन मंतूराम ने अपना नाम वापस ले लिया। इसे लेकर काफी बवाल मचा था। प्रदेश की राजनीति में एक बात तो साफ है कि यहां जीत बस्तर के रास्ते से ही मिलती है। बस्तर सधा तो मानो सबकुछ सध गया है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव 2023 से पहले होने वाले इस उप चुनाव को सभी राजनीतिक दल सेमीफाइनल मान रहे हैं। कांग्रेस से सावित्री मंडावी और भाजपा से ब्रम्हानंद नेताम चुनावी मैदान में है। नेताम पर दुष्कर्म और देह व्यापार का आरोप लगने के बाद यह चुनाव भी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो उठा है।
मुख्यमंत्री की दौड़ के चलते पहले दो उप चुनाव
प्रदेश में पहली बार लगातार दो उप चुनाव केवल मुख्यमंत्रियों के लिए हुए। पहली बार पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी और दूसरी बार डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री चुने गए। दोनों जब मुख्यमंत्री चुने गए, तब वे विधायक नहीं थे।
अब तक उपचुनाव
2000-03 मरवाही: रामदयाल उइके ने सीट खाली की और प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी जीते।
2003-08 डोंगरगांव: प्रदीप गांधी ने सीट खाली की और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह जीते।
मालखरौदा: निर्मल सिन्हा ने कांग्रेस विधायक के चुनाव को हाईकोर्ट में चुनौती दी, निर्वाचन रद्द हुआ और वह उपचुनाव में जीते।
कोटा: पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के निधन के बाद कांग्रेस से डा. रेणु जोगी जीतीं।
2008-13 खैरागढ़: देवव्रत सिंह के सांसद बनने पर खाली हुई सीट पर कोमल जंघेल जीते।
केशकाल: महेश बघेल के निधन के बाद सेवक राम नेताम जीते।
भटगांव: रविशंकर त्रिपाठी के निधन के बाद उनकी पत्नी रजनी त्रिपाठी जीतीं।
संजारी बालोद: मदनलाल साहू के निधन के बाद उनकी पत्नी कुमारी बाई जीतीं।
2013-18 अंतागढ़: विक्रम उसेंडी के सांसद बनने के बाद खाली सीट पर भोजराज नाग जीते।
कांग्रेस सरकार में 2018 से अब तक
दंतेवाड़ा: नक्सल हमले में भीमा मंडावी के निधन के बाद कांग्रेस की देवती कर्मा की जीती ।
चित्रकोट: दीपक बैज के सांसद बनने के बाद खाली सीट पर कांग्रेस के राजमन बेंजाम जीते।
मरवाही: अजीत जोगी के निधन के बाद कांग्रेस के डा. केके ध्रुव जीते।
खैरागढ़: जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद कांग्रेस की यशोदा वर्मा जीतीं।
Posted By: Abhishek Rai
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