रायपुर। Raipur News: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में सैकड़ों गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधि दी गई। इन सबमें गुढ़ियारी के जनता कालोनी की देवश्री भोयर ने सभी का ध्यान खींचा। राजनीति विज्ञान के अंतर्गत भारतीय राजनीति में अटल बिहारी बाजपेयी का याेगदान विषय में शोध कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाली देवश्री जन्म से ही नेत्रहीन है। देवश्री के इस मुकाम तक पहुंचने में उनके पिता गाेपीचंद भोयर का बहुत बड़ा हाथ है।

12वीं तक पढ़े मजदूर पिता ने अपनी बच्ची को आगे बढ़ता देखने के लिए वह कर दिखाया जो समान्य लोगों को नामुमकिन लगे। देवश्री ने बताया कि उन्होंने 5वीं तक की पढ़ाई ब्लाइंड स्कूल से की। उसके आगे की पढ़ाई समान्य बच्चों के स्कूल से की। ब्रेल लिपी नहीं होने के कारण मुझे पढ़ने में काफी समस्या आती थी। परिवार के लोग मुझे पढ़कर सुनाते थे, यूट्यूब से सुनकर पढ़ती थी।

10 से 12 घंटे तक पिता लिखते थे थीसिस

देवश्री ने बताया कि मैंने 12वीं के बाद डीबी महिला कालेज, कालीबाड़ी में प्रवेश लिया। पिता साइकल से कालेज लेकर जाते और घर वापस लाते थे। आसपास के लोग घरवालों को ताने देते कि जो देख नहीं सकती उसे पढ़ाने का क्या फायदा। लेकिन पिता ने निश्चय कर लिया कि हम नहीं पढ़ सके ताे क्या हुआ, हमारी बच्ची शोध करेगी। देवश्री ने बताया कि शोध के दौरान पिता ही थीसिस लिखा करते थे।

मेरे विचारों को कलम से पिता ने ही कागज पर उकेरी। कई दिन आठ घंटे तो कई कई बार रातभर जगहकर पिता मेरी थिसिस लिखते थे। महदूर पिता ने अपनी नेत्रहीन बेटी को इस काबिल बना दिया है कि आज देवश्री दूसरों को दुनिया दिखा रही है। देवश्री भोयर चंदूलाल चंद्राकर शासकीय कालेज धमधा में सहायक प्रध्यापिका है। देवश्री नेट सेट की परीक्षा पास कर चुकी है। उन्होंने बताया कि पीएचडी पूरी करने में उनके गाइड और दुर्गा महाविद्यालय के प्रोफेसर डां. शुभाष चंद्रकार का भी अहम योगदान रहा।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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