आकाश शुक्ला। रायपुर। रक्तदान को महादान का दर्जा दिया गया है, लेकिन प्रदेश में खून के कारोबार का खेल खेला जा रहा है। निजी ब्लड बैंकों में पीड़ितों से 1450 रुपये तक अतिरिक्त वसूला जा रहा है। मेडिकल आफिसर के बगैर संचालित हो रहे कई केंद्रों में एलाइजा जैसे महत्वपूर्ण जांच संदेहास्पद है। लगातार शिकायत के बाद भी औषधि प्रशासन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। ऐसे में निजी ब्लड बैंकों के हौसले बुलंद हैं।

औषधि प्रशासन विभाग की मेहरबानी से निजी ब्लड बैंकों के हौसले बुलंद

बता दें कि निजी ब्लड बैंकों के लिए शासन ने प्रोसेसिंग शुल्क समेत प्रति यूनिट 1,550 रुपये निर्धारित किया है। ब्लड बैंकों में रक्त लेने के दौरान उतने ही रक्तदान करना है। रक्तदाता न होने की स्थिति में भी ब्लड बैंकों को तय कीमत पर ही रक्त पीड़ित को उपलब्ध कराना है। कई पीड़ितों के पास इमरजेंसी के दौरान रक्तदाता नहीं होते हैं। ऐसे में ब्लड बैंक इनसे 2,100 से 3,000 रुपये तक वसूल रहे हैं। यानी प्रति यूनिट 550 रुपये से 1450 रुपये तक कमाई की जा रही है। करीब 70 प्रतिशत ऐसे पीड़ित होते हैं, जिनके पास समय पर रक्तदाता की उपलब्धता नहीं होती है। ऐसे में बड़े पैमाने पर वसूली की जा रही है।

बिना एलाइजा जांच के दे रहे रक्त

औषधि प्रशासन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास लगातार शिकायत पहुंच रही है कि रायपुर, कवर्धा, दुर्ग, बेमेतरा समेत कई जिलों के केंद्रों में एलाइजा जांच बिना ही रक्त दिया जा रहा है। दरअसल रक्तदान होने पर खून की एलाइजा जांच की जाती है। इस जांच में रक्त में एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया, सेक्सुअल सिंड्रोम के वायरस का पता लगाया जाता है। यह मरीज के जीवन के लिए महत्वपूर्ण जांच है, लेकिन कई निजी ब्लड बैंकों में उक्त जांच के बिना ही रक्त दे रहे हैं।

ब्लड बैंकों में मेडिकल आफिसर नहीं

मिली जानकारी के अनुसार हर ब्लड बैंक में मेडिकल आफिसर होना अनिवार्य है। लेकिन कई निजी ब्लड बैंक बिना मेडिकल आफिसर के संचालित हैं या नाम मात्र के लिए ही मेडिकल आफिसर के नाम का उपयोग किया जा रहा है, जिनका ब्लड बैंक से उनका सीधा वास्ता ही नहीं है।

औषधि प्रशासन मेहरबान

निजी ब्लड बैंक औषधि प्रशासन विभाग के अंतर्गत आते हैं। औषधि निरीक्षकों द्वारा समय-समय पर ब्लड बैंकों का निरीक्षण किया जाता है। शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई न होना औषधि प्रशासन की बेहरबानी की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि विभाग का कहना है कि शिकायत पर कार्रवाई की जाती है।

स्वास्थ्य सेवाएं उप संचालक डा. खेमराज सोनवानी ने कहा, हमारे पास सरकारी ब्लड बैंकों की जिम्मेदारी है। निजी ब्लड बैंकों का मामला औषधि प्रशासन विभाग के अंतर्गत आता है। इसलिए वही इसमें बेहतर बता पाएंगे।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के स्टेट लाइसेंसिंग अथारिटी बसंत कौशिक ने कहा, निजी ब्लड बैंकों में इस तरह की शिकायतें गंभीर मामला है। मामले की जांच कराएंगे। यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो लाइसेंस रद कर उन पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश में ब्लड बैंक

120 ब्लड बैंक हैं राज्य में

33 शासकीय ब्लड बैंक

87 निजी ब्लड बैंक संचालित

अप्रैल-2022 से फरवरी 2023 तक ब्लड डोनेशन

2,13,164 यूनिट रक्तदान

1,03,244 यूनिट रक्तदान सरकारी ब्लड बैंकों में

1,09,920 यूनिट रक्तदान निजी ब्लड बैंकों में

Posted By: Ashish Kumar Gupta

छत्तीसगढ़
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