जगदलपुर से विनोद सिंह, रायपुर। CG Election 2023 छत्तीसगढ़ के दक्षिण क्षेत्र में आंध्रप्रदेश और ओड़िशा सीमा से सटा बस्तर संभाग का कोंटा विधानसभा क्षेत्र नक्सल प्रभाव से बाहर निकलकर विकासशील क्षेत्र की पहचान बनाने को छटपटा रहा है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा सीट में सुकमा जिले का 95 फीसद क्षेत्र शामिल है। भौगोलिक विषमता, नदी-नाले, पहाड़ियां, सघन वन क्षेत्र के कारण आजादी के पांच दशक बाद तक क्षेत्र के विकास की गति बहुत धीमी रही। नब्बे के दशक में नक्सलवाद विकास में रोड़ा बना। लगभग 85 फीसद आदिवासी आबादी वाले इस क्षेत्र में जीविकोपार्जन का मुख्य माध्यम वनोपज व कृषि ही रहा है।
वर्ष 2005 में नक्सल विरोधी आंदोलन सलवा जुडूम शुरू होने के बाद अशांति का ऐसा माहौल बना कि कोंटा विधानसभा के भीतरी क्षेत्रों में स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। कुछ गांव लगभग पूरी तरह से उजड़ गए। हजारों लोग पलायन कर पड़ोसी राज्य तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और ओड़िशा चले गए। सुकमा को जनवरी 2012 में दंतेवाड़ा से अलग कर नया जिला बनाया गया। इसके बाद से यहां विकास को गति मिली है। नक्सलवाद के खात्मे के लिए सुरक्षा बलों के कैंप खोल भीतरी क्षेत्रों में अधोसरंचना विकास कार्य शुरू किया गया। आज क्षेत्र की पहचान तेजी से बदल रही है। केंद्र और राज्य से मिल रही भरपूर आर्थिक मदद ने विकास कार्यों को रूकने नहीं दिया। राजनीतिक दृष्टि से यह क्षेत्र काफी जागरूक है।
कवासी लखमा यहां से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। उनसे पहले 1990 से 1998 तक यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के मनीष कुंजाम विधायक रहे हैं। लखमा 1998 से यहां के विधायक हैं और इस दौरान 2003 से 2018 तक प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, हालांकि वह अपने विधानसभा के लिए विकास के कार्य कराने में सफल रहे। दोरनापाल से जगरगुंडा तक कांक्रीट की सड़क एक उदाहरण है। राज्य की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में सलवा जुडूम के समय बंद हुए दो सौ से अधिक स्कूलों को दोबारा खोला गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, सड़क की सुविधाएं बढ़ाकर विकास को नई दिशा दी गई है। यहां विकास के कई कार्य ऐसे हैं, जिसे लोगों ने पहली बार देखा।
जातिगत समीकरण में मुरिया का दबदबा
कोंटा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 84 फीसद आदिवासी, आठ-आठ फीसद ओबीसी और सामान्य तथा एक फीसद के आसपास अनुसूचित जाति की आबादी है। लगभग इसी अनुपात में इनकी मतदाता संख्या भी है। आदिवासियों की आबादी में क्रमश: मुरिया गोंड, धुरवा, हल्बा और फिर सबसे अंत में दोरला की संख्या है। जातिगत समीकरण में मुरिया गोंड चुनाव को प्रभावित करते हैं। पिछले दो चुनावों में जीते और हारे हुए दोनों प्रत्याशी कवासी लखमा और धनीराम बारसे इसी जनजाति के हैं।
पोलावरम से प्रभावित होेने की आशंका से लोगों में चिंता
पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन पोलावरम बहुउद्देशीय परियोजना के डुबान से कोंटा सहित 18 बसाहट क्षेत्रों के प्रभावित होने की आशंका ने यहां के लोगों की चिंता बढ़ा दी है। पोलावरम बांध के बैक वाटर से सबरी नदी के उफान पर आने से बसाहट क्षेत्र के साथ ही यहां से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-30 का लगभग 10 किलोमीटर का हिस्सा भी डूब जाएगा। इससे बचने के लिए अथवा वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। पोलावरम परियोजना से कोंटा विधानसभा क्षेत्र में डुबान चुनावी मुद्दा तो बनता है पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।
पुल बना तो ओडिशा में मिलने की जिद छोड़ी
कोंटा विधानसभा में पूर्वी क्षेत्र से होकर सबरी नदी बहती है। सबरी नदी के दूसरी ओर ओडिशा सीमा के नजदीक स्थित झापरा, बुरदी, कोडरीपाल आदि एक दर्जन ग्राम पंचायतों के लोग नदी में पुल नहीं होने से छत्तीसगढ़ से अलग करके ओडिशा राज्य में मिलाने की जिद करने लगे थे। स्थिति बिगड़ती कि इसके पहले ही यहां सबरी नदी पर आधा दर्जन वृहद पुलों के निर्माण की कार्ययोजना तैयार कर काम भी शुरू कर दिया गया। वर्तमान में करोड़ों रुपये खर्च कर कोंटा-मोटू, दोरनापाल-पोड़िया, कम्हाररास-झापरा, गंजेनार-कवासीरास और कोकराल-नेतानार के बीच वृहद पुलों का निर्माण किया जा चुका है। पुलों के निर्माण से लोगों ने अलगाव की जिद छोड़ दी तो ओडिशा के साथ व्यापार व विकास का सुकमा प्रमुख केंद्र बन गया है।
सुकमा ने 10वीं में प्रदेश में पहला, तो 12वीं में दूसरा स्थान बनाया
कोंटा विधानसभा क्षेत्र में 145 ग्राम पंचायत और 385 गांव शामिल हैं। यहां प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक 1,023 स्कूल, 95 अस्पताल, 1,014 आंगनबाड़ी केंद्र, 170 उचित मूल्य की दुकान हैं। कोंटा, सुकमा में कालेज, फूड पार्क की स्थापना भी गई है। लगातार दो साल से छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10 वीं बोर्ड परीक्षा में सुकमा जिले ने प्रदेश में पहला स्थान और इस साल 12 वीं बोर्ड परीक्षा में दूसरा स्थान बनाकर खूब नाम कमाया है। सुकमा के जिला अस्पताल की गिनती बस्तर संभाग के सबसे अच्छे चिकित्सालय में होने लगी है। कवासी लखमा के मंत्री होने का लाभ क्षेत्र को मिल रहा है।
विकास की बात हो तो मैं राजनीति नहीं देखता:
लखमा कवासी लखमा 70 साल के हैं। 25 सालों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। स्कूल का कभी मुंह नहीं देखा। केवल दस्तखत करना जानते हैं। ठेठ आदिवासी ग्रामीण की छवि उनकी ताकत है। लखमा भले ही पढ़े लिखे नहीं हैं उनकी राजनीतिक सोच उच्च शिक्षित और राजनीति के माहिर खिलाड़ियों को भी अचंभित कर देती है। उनका कहना है कि क्षेत्र के विकास की बात हो तो वह राजनीति नहीं देखते। किस पार्टी की केंद्र अथवा राज्य में सरकार है यह नहीं सोचते। 2012 में बस्तर में भाजपा के लोग रेल मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी जबकि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी। आंदोलनकारी भाजपा नेताओं ने लखमा से उनके प्रतिनिधिमंडल में शामिल होकर दिल्ली जाकर रेलमंत्री से चर्चा करने का अनुरोध किया तो वे बिना झिझक राजी हो गए।
दिल्ली गए और भाजपाइयों के बीच में बैठकर रेलमंत्री से चर्चा की। यूपीए की सरकार थी तो कई मांगे पूरी कराने में सफलता मिली। यहां प्रदेश में 15 साल भाजपा की सरकार थी। उनका काम नहीं रूकता था। सरकार किस पार्टी की है यह मेरे लिए मायने नहीं रखता। मैंने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से मिलकर कोंटा विधानसभा क्षेत्र के कामों को रूकने नहीं दिया। सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। विकास और सामाजिक उत्थान दोनों क्षेत्र में काम किया जा रहा है। प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के लिए नए उपतहसील, तहसील खोले गए हैं। लखमा के शब्दों में क्षेत्र की जनता कुछ मांगे उसके पहले ही मैं एक ग्रामीण और मतदाता के रूप में खुद को खड़ा कर सोचता हूं कि मेरे क्षेत्र को क्या जरूरत है और पूरी ताकत लगाकर पूरा करवाता हूं।
भाजपा सरकार में स्वीकृत हुए कामों से क्षेत्र में हो रहा विकास, लेकिन भ्रष्टाचार से जनता है त्रस्त, मुक्ति चाहती है: बारसे
पिछले लगातार दो विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे धनीराम बारसे का कहना है कि कोंटा विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य हुए हैं लेकिन इसका पूरा श्रेय प्रदेश में 15 साल रही भाजपा की सरकार को जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की सरकार ने विकास को लेकर किसी क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं किया। सबरी नदी पर पुलों का जाल बिछाने की बात हो या अंदरूनी क्षेत्रों तक अधोसंरचना के विकास कार्यो को गति देने की। कवासी लखमा झूठा श्रेय लेने की कोशिश में लगे रहते हैं। प्रदेश में चार साल से कांग्रेस की सरकार है, लेकिन क्या काम कराए गए यह बताना चाहिए। बारसे ने आरोप लगाया कि विकास और जनकल्याण की राशि का बंदरबांट किया जा रहा है, भ्रष्टाचार का बोलबाला है। गरीबों के राशन की हेराफेरी हो या फिर पीएम आवास योजना से गरीबों को वंचित रखने का मामला हो। किसानों, युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं से वादाखिलाफी करने वाली कांग्रेस सरकार और यहां के विधायक में अब जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं है। कवासी लखमा ने विधानसभा चुनाव पूर्व जेलों में बंद निर्दोष ग्रामीणों की नि:शर्त रिहाई का वादा किया गया था जिसे पूरा नहीं किया गया।
Posted By: Vinita Sinha
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