असीम सेन गुप्ता l CG Election 2023 MLA Report Card of Samari Assembly Seat: उत्तर छत्तीसगढ़ के संभागीय मुख्यालय अंबिकापुर से रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग पर 20 किमी का सफर तय करते ही बलरामपुर जिले की सीमा प्रारंभ हो जाती है और यहीं से सामरी विधानसभा क्षेत्र में भी प्रवेश हो जाता है। राजपुर, शंकरगढ़ और कुसमी विकासखंड को मिलाकर बनी सामरी विधानसभा क्षेत्र की सीमा सुदूर झारखंड की सरहद पर स्थित चांदो और चुनचुना-पुंदाग तक फैली हुई है।
सामरी विधानसभा पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज आदिवासी भाजपा नेता स्वर्गीय लरंग साय की कर्मभूमि रही है। लरंग साय ने पहले जनसंघ फिर भाजपा की पैठ आदिवासियों के बीच बनाई और सामरी को भाजपा का अभेद्य किला बना दिया। हालांकि वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद परिस्थितियां बदल गईं और भाजपा का किला धराशाई हो गया। पिछले दो चुनाव से सामरी से कांग्रेस उम्मीदवार भारी मतों से जीत रहे हैं।
अंबिकापुर से ब्लाक मुख्यालय राजपुर होते हुए नईदुनिया की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित सामरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत अलखडीहा के आश्रित ग्राम महगई पहुंची। वनग्राम रहे महगई को अब राजस्व ग्राम का दर्जा मिल गया है। हालांकि महगई तक पहुंचने के लिए तीन-चार किलोमीटर मिट्टी-मुरूम की सड़क पर चलना पड़ा। गांव में संसदीय सचिव और स्थानीय विधायक चिंतामणि महराज पेड़ों की छांव तले चौपाल लगाकर लोगों की समस्या सुनते हुए मिले। संत गहिरा गुरु के पुत्र चिंतामणि महाराज जब 2018 में यहां के विधायक चुने गए।
विधायक बनने के पश्चात उन्होंने क्षेत्र के सभी गांवों का दौरा किया। वह गांवों में चौपाल लगाकर लोगों की समस्या सुनकर समाधान करने का प्रयास करते हैं। चौपाल में पहुंचे ग्रामीणों ने कहा कि विधायक समस्या का समाधान करने के लिए तत्पर रहते हैं। तत्काल अधिकारियों को फोन पर निर्देश देते हैं। जब तक समस्या खत्म नहीं हो जाती पूछताछ करते रहते हैं।
यहां विधायक ने गांव के 165 लोगों को वन अधिकार पट्टा देने के साथ ही 14 परिवारों को राशन कार्ड भी वितरित किया। दिव्यांग करमु दास ने समस्या बताई तो तत्काल ट्राइसाइकिल के लिए पहल हुई। गांव में बुनियादी सुविधा विस्तार के काम पहले हो चुके हैं, हालांकि पानी और बिजली का कुछ संकट अब भी बरकरार है।
चौपाल में मौजूद हीरामणि, सुंदर राम, रामसाय ने बताया कि गांव में अब विकास हो रहा है। नईदुनिया की टीम ब्लाक मुख्यालय राजपुर पहुंची। राजपुर में कुछ दिनों पहले ही उप पंजीयक का कार्यालय खुला है। बस स्टैंड पर गाड़ी आने का इंतजार कर रहे रामकेवल ने बताया कि यहां व्यवहार न्यायालय तो पहले से था, अब एडीजी न्यायालय की पहल हुई है। जमीन की रजिस्ट्री के लिए बलरामपुर, अंबिकापुर नहीं जाना पड़ेगा।
गांवों में करता हूं रात्रि विश्राम:
चिंतामणि चिंतामणि महाराज बताते हैं कि विधायक निर्वाचित होने के बाद सबसे पहले विधानसभा क्षेत्र की सभी पंचायतों का दौरा किया। रात्रि विश्राम कर गांव वालों की भावनाओं को समझने की कोशिश की। पहाड़ी पर बसे जोकापाट पंचायत के जामपानी जैसे दुर्गम स्थल पर भी रात्रि विश्राम कर ग्रामीणों के साथ सीधा संवाद किया।
इससे पता चला कि गांववाले चाहते क्या हैं। उसके बाद पंचायत की प्राथमिकता तय करके विकाय कार्य शुरू किया गया। क्षेत्र में कई बड़े काम भी हुए हैं। विकास और निर्माण के कार्यों की लंबी सूची है, लेकिन सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि यदि लोगों के जीवन मे बदलाव आया है तो समझ जाईये की उन्हें बेहतर सुविधाओं के साथ शासन की योजनाओं का अच्छे से लाभ मिल रहा है।

सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि यदि लोगों के जीवन मे बदलाव आया है तो समझ जाइये की उन्हें बेहतर सुविधाओं के साथ शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। मेरे दरवाजे जनता के लिए हर समय खुले रहते हैं। जनता की उम्मीदों को पूरा करने का प्रयास करता हूं। प्रशासनिक अधिकारियों से भी प्राथमिकताओं के साथ लोगों के कार्य करवाता हूं।
नया कुछ नहीं, पुराने कार्य भी अधूरे: सिद्धनाथ पैकरा पूर्व विधायक सिद्धनाथ पैकरा ने कहा कि सामरी क्षेत्र में विकास का कोई भी नया काम नहीं हुआ है। मेरे कार्यकाल में स्वीकृत और आरंभ हुए काम अधूरे पड़े हुए हैं। घोषणा और स्वीकृति में अंतर होता है, इस बात को समझना होगा। घोषित कार्यों के लिए बजट में राशि का प्रविधान भी कराया जाना चाहिए। विकास के मामले में मैं दलगत राजनीति को महत्व नहीं देता हूं। सामरी क्षेत्र की जरूरतें और जनाकांक्षाएं अधूरी हैं।
कभी नक्सलियों की आमदरफ्त वाले सामरी में व्यवस्था में बदलाव आया है। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क की स्थिति में सुधार देखा जा सकता है। प्रशासनिक कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए तहसील कार्यालय आरंभ किया गया है। चांदो में तहसील कार्यालय, बरियों में उप तहसील कार्यालय, राजपुर में उप पंजीयक कार्यालय के साथ ही ग्रामीणों की मांग के अनुरूप कई नए धान खरीदी केंद्र और जिला सहकारी बैंकों की स्थापना की गई है। कुसमी में व्यवहार न्यायालय की घोषणा हो चुकी है। राजपुर में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के न्यायालय की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है। राजपुर से प्रतापपुर तक सड़क तथा धंधापुर में महान नदी पर पुल ने भविष्य में विकास की नींव को और मजबूत किया है।
नक्सलवाद का अंत, प्रशासन की पहुंच हुई आसान
सामरी विधानसभा का चुनचुना-पुंदाग क्षेत्र को दो दशक पूर्व नक्सलियों की शरणस्थली कहा जाता था। दुरूह क्षेत्र होने के कारण यहां तक पुलिस और प्रशासन की पहुंच नहीं थी। अब परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं। चुनचुना-पुंदाग तक सड़क का निर्माण होने के बाद विधायक और अधिकारी गांव में जनचौपाल लगा रहे हैं। इन दोनों पंचायतों के अलावा आसपास के आधा दर्जन से अधिक ग्रामों में रहने वालों के जीवन मे बड़ा बदलाव आया है। शासन की योजनाओं की पहुंच होने लगी है।
लरंग साय से है सामरी की पहचान
सामरी विधानसभा में 1967 से लेकर अब तक नौ बार चुनाव में जनसंघ और भाजपा का कब्जा रहा। पिछले दो चुनाव से कांग्रेस को यहां जीत मिल रही है। यह क्षेत्र कद्दावर आदिवासी नेता स्व लरंग साय के नाम से पहचाना जाता है। यहां से लरंग साय तीन बार और उनके परिवार के अमीन साय भी तीन बार विधायक चुने गए। वहीं, भाजपा के डा. सोहनलाल एक बार तथा सिद्धनाथ पैकरा दो बार चुनाव जीते हैं। कांग्रेस से एक बार महेश्वर पैकरा, एक बार डा. प्रीतम राम व वर्तमान में चिंतामणि महाराज विधायक हैं।
2018 के चुनाव में मुख्य मुकाबला
चिंतामणि महाराज की जीत का अंतर 21,923
बसपा मिटकु भगत 6,587
भाजपा सिद्धनाथ पैकरा 58,697
कांग्रेस चिंतामणि महाराज 80,620
Posted By: Ashish Kumar Gupta
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