रायपुर। नरवा विकास योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने वनांचल क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। तीन वर्ष के भीतर प्रदेश के 6300 नालों को पुर्नजीवित करते हुए 23 लाख हेक्टेयर जमीन पर जल संरक्षण किया जा चुका है। इससे भू-जल और हरियाली तो बढ़ी ही साथ ही वनांचल में सिंचाई और पेजयल के लिए भी रास्ते खुल गए हैं। इससे वनांचल की बड़ी आबादी को राहत तो मिली ही साथ ही वन्यजीवों को भी उनके रहवासी क्षेत्र में चारा पानी उपलब्ध हो सका है, हरियाली बढ़ने के साथ ही आबादी क्षेत्रों में जंगली जानवरों से लोगों को परेशानी भी खत्म हो गई।
राज्य सरकार के इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय अधिकारियों की भी सराहना मिली है। वन विभाग के अधिकारियों ने नरवा विकास योजना के अंतर्गत मृदा और जल संरक्षण पर हो रहे कार्यों का लेखा-जोखा राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया। राजधानी में होटल मेफेयर में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर चर्चा की जा रही है। 23 मई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया था।
योजना के अंतर्गत यह बनाया गया
योजना के तहत बनाए गए संरचनाओं में ब्रश वुड चेक डैम, लूज बोल्डर चेक डैम, गेबियन संरचना, मिट्टी चेक डैम, कंटूर ट्रेंच तथा स्टेगर्ड कंटूर ट्रेंच आदि निर्माण शामिल है। इसके अलावा गली प्लग, चेक डैम, स्टाप डैम, परकोलेशन टैंक तथा तालाब, डबरी और वाटरहोल आदि भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है।
नरवा विकास में यह महत्वपूर्ण कार्य हुए
1. वर्ष 2020-21 में दो हजार 055 नालों का चयन कर छह लाख हेक्टेयर भूमि के लिए 46 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण।
2. वर्ष 2021-22 में एक हजार 974 नालों का चयन कर पांच लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि के उपचार के लिए 73 लाख से अधिक भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण। 3
3. वर्ष 2022-23 में एक हजार 503 नालों का चयन कर छह लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि के उपचार के लिए 29 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में नरवा विकास कार्यक्रम के तहत कैम्पा मद अंतर्गत वनांचल स्थित नालों में काफी तादाद में भू-जल संरक्षण संबंधी कार्याे का तेजी से क्रियान्वयन जारी है। इससे वन क्षेत्रों के भू-जल स्तर में काफी सुधार दिखाई देने लगा है और वनवासियों सहित क्षेत्रवासियों को पेयजल, सिंचाई तथा निस्तारी आदि सुविधाओं का भरपूर लाभ मिलने लगा है। साथ ही साथ इससे वन संरक्षण तथा संवर्धन के कार्यों को भी बढ़ावा मिला है। राज्य में इसके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को ’स्कॉच अवार्ड’ के पर्यावरण श्रेणी के लिए स्वर्ण पुरस्कार भी मिल चुका है।
Posted By: Vinita Sinha
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