रायपुर। Republic Day 2023 Special: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंकज लाल तिवारी ने किशोरावस्था में ही स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भूमिका से अंग्रेजों की नींद हराम कर दी थी। उनका जन्म 8 सितंबर, 1927 को हुआ था । 15 वर्ष की उम्र में 9 अगस्त, 1942 को विशाल संघर्ष सभा में अंग्रेजों द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के राज्य स्तर सचिव थे।
किशोरावस्था में ही अनेक सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन में उन्होंने भूमिगत रहकर महान राष्ट्रीय क्रांतिकारियों के साथ आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व त्याग कर योगदान दिया। अनेक बार इस कम आयु के क्रांतिकारी बालक को अंग्रेज पुलिस पकड़ कर ले जाती, लेकिन रायपुर से 30-40 किलोमीटर दूर कभी अभनपुर, कभी आरंग, कभी चंदखुरी आदि तक ले जाकर चेतावनी देकर उन्हें छोड़ देती थी।
अनेक क्रांतिकारी पं. जयनारायण पांडेय, हरि नारायण ठाकुर, मनीलाल बागड़ी, डा. महादेव प्रसाद पांडेय व केयूरभूषण मिश्रा ( पूर्व सांसद ) आदि इनके समकालीन व सहयोगी मित्र थे। अगस्त, 1942 में वे युवावस्था की दहलीज पर पहुंचे तो महात्मा गांधी के करो या मरो के नारा को अंगीकार कर सारे अंचल और रायपुर में युवकांे का विशाल जुलुस निकाला। गांधी चौक पर एक विशाल जनसभा का उन्होंने नेतृत्व किया।
एक बार फिर उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट जेडी केराबाबा ने जेल भेज दिया। 21 दिनों के बाद जेल से छूटने के बाद ठाकुर प्यारेलाल सिंह का उन्हे संदेश मिला कि जेल से बाहर रहकर आंदोलनकारियों संगठित करें। तब दोगुने जोश के साथ अपने साथियों के साथ भूमिगत होकर स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाते हुए ब्रिटिश सरकार की नींद हराम कर दी। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदानों पर 12 जनवरी, 2011 को ब्राह्मणपारा में प्राथमिक स्कूल का नाम पं. स्व.पंकज लाल तिवारी के नाम पर रखा गया।
100 वर्ष पुराना घर, जहां गांधीजी ने ली सभा
ब्राह्मणपारा में 100 वर्ष से भी पुराना एक ऐसा घर आज भी स्वतंत्रता के आंदोलन का गवाह है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पंकज लाल तिवारी के पौत्र जीएसटी निरीक्षक निशांत तिवारी ने बताया कि यह घर आज भी स्वाधीनता की यादें संजोए हुए है। यहां 20 दिसंबर, 1920 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.पं. सुंदरलाल शर्मा के निमंत्रण पर महात्मा गांधी रायपुर आए थे। वहीं छत से उन्होंने लोगों को संबोधित किया था। यहां से धमतरी स्थित कंडेल गांव में महात्मा गांधी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जल कर के विरुद्ध बड़ा आंदोलन किया था।
Posted By: Ashish Kumar Gupta
- Font Size
- Close