संदीप तिवारी, रायपुर (ब्यूरो)। राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग में पढ़ रहे विद्यार्थियों की परीक्षा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। आलम यह है कि तिमाही परीक्षा के बाद स्कूल शिक्षा विभाग अब दिसंबर के पहले सप्ताह होने वाली छमाही परीक्षा भी ब्लेकबोर्ड पर स्थानीय स्तर पर कराने की तैयारी कर रहा है। ये स्थ्ािति तब है जब विद्यार्थियों का शिक्षा स्तर बेहद कमजोर है। प्रदेश के स्वामी आत्मानंद स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र देकर परीक्षा ली जा रही है और बाकी स्कूलों को ख्ाुला छोड़ दिया गया है।
प्रदेश में केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय जैसे विद्यालयों में तो मासिक आकलन भी प्रश्न पत्रों के माध्यम से होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना काल में विद्यार्थियों के लिखने की प्रैक्टि्स भी कमजोर हो चुकी है। उनका कहना है कि विद्यार्थियों के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को प्रश्न पत्र छपवाकर परीक्षा लेना चाहिए। खासकर कक्षा एक और दो के छोटे विद्यार्थियों के लिए प्रश्न पत्र चित्रमय होना चाहिए क्योंकि विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम ही चित्रमय होता है।
इसके अलावा विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में चित्रों की अहम भूमिका होती है जो कि ब्लेकबोर्ड के माध्यम से परीक्षा कराने में दिक्कत होती है। आज तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में भी तर्कशक्ति व चित्रमय आधारित प्रश्न होते हैं जो कि केवल प्रश्न पत्र पर ही प्रकाशित हो सकते हैं। मगर स्कूल शिक्षा विभाग ने इस व्यवस्था को ही ध्वस्त कर दिया है। इसके पहले सकूल शिक्षा विभाग को प्रदेश में स्कूली शिक्षा में डिजिलीकरण और आनलाइन असेसमेंट के लिए सीएसआइ ई-गवर्नेंस अवार्ड मिल चुका है। अब फिर विभाग पुराने ढर्रे पर काम कर रहा है।
तिमाही परीक्षा भी ली थी ब्लेकबोर्ड पर
शिक्षा विभाग ने इसके पहले तिमाही परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र तो बनवाया था मगर यह लीक हो गया था। बाद में अफसरों ने ब्लेकबोर्ड पर ही परीक्षा ली थी। एक तरफ प्रदेश के स्वामी आत्मानंद स्कूलों में बाकायदा प्रश्न पत्र छपवाकर परीक्षा ली जा रही है, वहीं राज्य के 60 लाख विद्यार्थियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया किे प्रदेश शिक्षा प्रशासन में तालमेल की कमी व अदूरदर्शिता के कारण पिछली बार करोड़ों रुपये पानी मे ंबह गया। कई हर हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल के हजारांे रुपये के प्रश्नपत्र प्रिंट कराने में लग गए, विभाग ने बाद में प्रश्न ही रद्द कर दिया था।
कई प्रयोग मगर लापरवाही के कारण विद्यार्थी पिछड़े
पूरे देश में जब शिक्षा व्यवस्था डिजिटलाइजेशन की दिशा में चल रही है तब प्रदेश के शिक्षास अफसर परीक्षा व्यवस्था को ही उलझाते नजर आ रहे हैं। आनलाइन पढ़ाई और परीक्षा को लेकर की जा रही सारी कवायदें तकनीकी कमियों की वजह से फेल होती नजर आ रहीं हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए पिछले दो साल के भीतर जितने प्रयोग हुए, उतने पिछले पांच वर्षों में नहीं हुए हैं।
अंगना मा शिक्षा, पढ़ई तुंहर दुआर, सौ दिन की कहानियां, विज्ञान गणित क्लब, शिक्षा के गोंठ, बुलटू के बोल, सेतु ब्रिज कोर्स समेत करीब 60 प्रयोग विद्यार्थियों पर किए गए। इसके बाद भी नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 में कक्षा तीसरी, पांचवीं, आठवीं और 10वीं के विद्यार्थियों का शिक्षा स्तर देश के 30 राज्यों से पीछे है। इतना ही नहीं, एनुअल स्टेट्स आफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) के मुताबिक पिछले वर्षों में विद्यार्थियों के अक्षर ज्ञान और गिनती-पहाड़ा जानने के स्तर में भी कमजोरी आई है।
इस बार नौ बार आकलन का लक्ष्य, मगर स्कूलों पर छोड़ा
छत्तीसगढ़ में कक्षा पहली से 12वीं तक की कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों का पूरे सत्र में छह मासिक आकलन के अतिरिक्त, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक आकलन करने का दावा किया जा रहा है। आकलन के आधार पर विद्यार्थियों की ग्रेडिंग भी की जानी है। अफसरों का दावा है कि मासिक आकलन प्रत्येक माह के अंतिम सप्ताह में किया जा रहा है और अभिभावकोंको आकलन परिणाम एवं प्रगति पत्र भी दिया जाएगा।
पहली बार हुआ था आनलाइन असेसमेंट
वर्ष 2020-21 में स्कूल शिक्षा विभाग में तत्कालीन सचिव गौरव द्विवेदी ने बेहतर कमद उठाया था। उन्होंने बेसलाइन, मिडलाइन और एंड लाइन के आधार पर आनलाइन असेसमेंट की व्यवस्था की थी। इसके तहत स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से प्रश्न-पत्र तैयार करवाए थे। प्रदेश भर के सभी जिलों में विद्यार्थियों का एक ही पर्चे से आकलन किया गया था। कोरोना काल के करीब डेढ़ साल बाद विद्यार्थियों ने स्कूल में पर्चा हल किया था। वहीं कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों की परीक्षा के लिए जिला स्तर पर बने प्रश्न-पत्र के जरिए परीक्षा ली गई थी। प्रदेश के सभी विद्यार्थियों ने एक साथ परीक्षा दी थी।
ये समस्याएं आती हैं ब्लेकबोर्ड में परीक्षा लेने पर
कई प्राइमरी स्कूलों में एक ही कमरे में कई कक्षाएं लगती हैं ।
छोटे बच्चों को प्रश्नों को उतारने में काफी समय लगता है।
चित्रमय प्रश्नों का अभाव हो जाने से मूल्यांकन अधूरा होता है।
शिक्षक अपनी मनमर्जी के अनुसार ही परीक्षा लेते हैं ।
एकरूपता के अभाव से सही आकलन नहीं हो पाता है ।
प्रश्न पत्र समझने में आसानी होती है, ब्लेकबोर्ड में दिक्कत है ।
(शिक्षाविदों से बातचीत के आधार पर)
अधिकारियों को देंगे निर्देश
विद्यार्थियों का मूल्यांकन सही तरीके से ही कराया जाएगा। विद्यार्थियों को अन्य स्कूलों की तरह ही सुविधा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। प्रश्न पत्रों के माध्यम से परीक्षा कराने को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा।
- डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मंत्री, स्कूल शिक्षा, छत्तीसगढ़
Posted By: Pramod Sahu
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