रायपुर। वेटलैंड इको सिस्टम वह क्षेत्र है जहां पर पानी की गहराई अधिकतम 6 से 12 फीट होती है। पानी छिछला होने के कारण विभिन्न प्रकार की घास एवं सूक्ष्म प्रजातियों के पनपने से वहां पर पर्याप्त मात्र में भोजन उपलब्ध होता है जिसके कारण अधिक मात्र में जैवविविधता पनपती है। यहां पर कार्बन सिक्वेस्ट्रशन भी अधिक मात्रा में होता है।

इस स्थान पर जीन पूल अधिक मात्रा में पाया जाता है और यह वेटलैंड बहुत प्रोडक्टीव इको सिस्टम है। पिछले कई वर्षों से वेटलैंड तेजी से कम होते जा रहा है तथा यह वनों की तुलना में तीन गुना अधिक तेजी से खत्म हो रहे है। शहरीकरण के कारण और इतने महत्वपूर्ण ईको-सिस्टम के खराब होने की वजह से विशेषज्ञों द्वारा चिंता प्रकट की गई है।

इस बाबत् वर्ष 1971 में रामसर इरान में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि जो अत्यंत महत्वपूर्ण वेटलैंड है, उन्हे संरक्षित एवं संवर्धित किया जायेगा। बैठक में भारत भी एक पक्षकार था। इसी क्रम में भारत में वर्ष 1986 में इनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 लाया गया जिसमें वेटलैंड को संरक्षित करने का उल्लेख था। विशेषज्ञों द्वारा विचार मंथन कर वर्ष 2010 में वेटलैंड रूल्स तैयार किया गया है एवं उन्हें पुनः 2017 में रिवाईज कर प्रकाशित किया गया।

वेटलैंड में मानवीय क्रियाकलाप प्रतिबंधित

वेटलैंड में मानवीय क्रियाकलापों को प्रतिबंधित किया जायेगा अर्थात किसी भी किस्म का अतिक्रमण, उद्योग स्थापित करना, विद्यमान उद्योगों का विस्तार करना, अपशिष्ट प्रवाहित करना, ठोस अपशिष्ट से पाटना एवं अवैध शिकार से पूरी तरह से प्रतिबंधित होंगे।

एसएसी अहमदाबाद के द्वारा रिमोट सेंसिंग सर्वे कर छत्तीसगढ़ में पैतीस हजार से अधिक वेटलैंड चिंहित किये गये, जिसमें सवा दो हेक्टेयर से अधिक के सात हजार सात सौ ग्यारह महत्वपूर्ण वेटलैंड है, जो आक्सबो, लेक पाॅन्ड, रिवर आदि की श्रेणी में आते हैं।

छत्तीसगढ़ में वेटलैंड अथारिटी का गठन

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया है कि सवा दो हेक्टेयर से अधिक के वेटलैंड को संरक्षित एवं सवंर्द्धित किया जायेगा भले ही वे वेटलैंड के अंतर्गत नोटिफाई न हो। उपरोक्त परिस्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में भी वेटलैंड अथारिटी का गठन किया गया जिससे वेटलैंड को संरक्षित किया जा सके।

वेटलैंड अथारिटी की प्रथम बैठक वनमंत्री वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में एक अगस्त 2022 को हुई थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत महत्वपूर्ण वेटलैंड को चिन्हित किया जायेगा एवं उनके मैनेजमेंट का प्लान तैयार कर भविष्य की रूपरेखा बनाई जायेगी।

छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथारिटी द्वारा सीजीकास्ट के वैज्ञानिक पी. कविश्वर के माध्यम से सेटेलाइट से सर्वे कार्य कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के महत्वपूर्ण वेटलैंड को रामसर स्थल के रूप में घोषित करने के लिए अधिकारियों के एक दल द्वारा चिलका डेवलपमेंट अथारिटी उड़ीसा के वेटलैंड का अध्ययन किया गया तथा उक्त दल द्वारा वापस छत्तीसगढ़ आकर गिधवा-परसदा एवं बैलोदी-चीचा इन दो स्थलों को वेटलैंड साइट के मापदंडों के आधार पर विस्तारित कर रामसर साइट घोषित करने के लिए प्रस्तावित किया है।

वेटलैंड संरक्षण के लाभ

वेटलैंड को संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्‍योंकि इससे वेटलैंड बायोडायवर्सिटी रिवाइव होती है, लाइवलीहुड इंप्रूव होता है, पानी का पुनरभरण एवं फिल्टरेशन होता है जो आसपास की आबादी को सप्लाई किया जाता है। जलीय पौधों द्वारा कार्बन सिक्वेस्ट्रशन होता है। अंचालिक ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है। वेटलैंड फ्लड और स्टार्म के प्रभाव को कम करता है।

वेटलैंड को संरक्षित करने की दिशा में वन विभाग द्वारा ईको-टूरिज्म के कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसका स्थानीय लोगों को रोजगार देना मुख्य उद्देश्य है। इसमें मयाली डैम जशपुर, कोडार डैम महासमुंद, दुधवा डैम कांकेर तथा बुका संतरेगा प्रमुख है।

जिस द्रुतगति से छत्तीसगढ़ सरकार का वैटलैड प्राधिकरण, अपना काम कर रहा है उसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि बहुत जल्द ही देश में रामसर साइटस की संख्या 77 होने वाली है और देश के मानचित्र में वैटलैंड को लेकर छत्तीसगढ़ उभर कर दिखाई देने वाला है। छत्तीसगढ़ की चहचहाती चिड़िया और गुनगुनाते पंछियों की तस्वीर बहुत जल्द वैश्विक होने जा रही है।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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