रायपुर, राज्य ब्यूरो। बीजापुर में कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए मध्यस्थ बने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पद्मश्री धर्मपाल सैनी एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। वह लंबे समय से छत्तीसगढ़ के बस्तर में काम कर रहे हैं। उन्होंने बस्तर में बालिका शिक्षा की अलख जगाई है। 90 वर्षीय सैनी जब बस्तर आए, तो लोग बालिकाओं को आश्रम भेजने को तैयार नहीं होते थे।
मगर, धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आई और आज अधिकांश बालिकाएं उनकी संस्था और अन्य स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। उनकी संस्था में शिक्षा के साथ-साथ उन्हें विभिन्न खेलों का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मूलत: मध्य प्रदेश के धार जिले के रहने वाले धरमपाल सैनी विनोबा भावे के शिष्य रहे हैं। 60 के दशक में विनोबा भावे से अनुमति लेकर वे बस्तर आए और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में जुट गए।
करीब 2300 खिलाड़ी तैयार किए
बस्तर में ताऊजी के नाम से विख्यात सैनी अब तक करीब 2300 खिलाड़ी तैयार कर चुके हैं। आगरा यूनिवर्सिटी से कामर्स ग्रेजुएट सैनी एथलीट रहे हैं। 1985 में पहली बार उनके आश्रम की छात्राओं ने खेल प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया।
उनके जगदलपुर स्थित डिमरापाल आश्रम में हजारों की संख्या में मेडल्स और ट्राफियां रखी हुई हैं। बालिका शिक्षा में बेहतर योगदान के लिए 1992 में सैनी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। वर्ष 2012 में द वीक मैगजीन ने सैनी को मैन आफ द इयर चुना था। सरकार ने कोबरा जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई के लिए धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के तैलम बोरैया को मध्यस्थ बनाया है।
Posted By: Shashank.bajpai
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
- #Naxalites kidnapped a soldier
- #rakeshwar singh
- #killed soldier in bijapur
- #chhattisgarh news
- #anti naxalite operation
- #Dharmapala saini
- #poineer of girl child education in bastar