रायपुर। (नईदुनिया प्रतिनिधि)। सिंधी समाज के प्रमुख तीर्थस्थल शदाणी दरबार की पांचवीं पीठाधीश्वर माता हासीदेवी का 196वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। धमतरी रोड स्थित शदाणी दरबार परिसर में महोत्सव के दूसरे दिन संतों के सान्निध्य में भजन, कीर्तन का श्रद्धालुओं ने आनंद उठाया। शाम को बच्चों, युवतियों ने माता के जीवन से संबंधित प्रसंगों को गीत, नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया। तीन दिवसीय महोत्सव का समापन गुरुवार को अखंड पाठ साहिब का भोग, आरती एवं अरदास करके किया जाएगा। अंतिम दिन लंगर में हजारों श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई है।
शदाणी दरबार तीर्थ के सचिव उदय शदाणी ने बताया कि संत युधिष्ठिरलाल सहित अन्य संतों के सान्निाध्य में माता हासीदेवी की प्रतिमा का अभिषेक, पूजा-अर्चना, महाआरती की गई। संतों ने सत्संग में सेवा, परोपकार का संदेश दिया। साथ ही माता साहिब की खाट के पाकिस्तान से भारत लाने की कथा का गान किया गया।
भंडारे में दिखाया था माता ने चमत्कार
माता साहिब हासीदेवी के बारे में मान्यता है कि माता ने अनेक चमत्कार किए। इनमें से एक चमत्कार ऐसा था कि अकाल के दौरान सिंध में भूखमरी फैल गई थी। तब मात्र एक बोरी गेहूं से माता ने छह माह तक श्रद्धालुओं के लिए भंडारा में भोजन खिलाया था और बोरी का अनाज खत्म नहीं हुआ। वे अलौकिक शक्ति की मालिक थीं।
शदाणी दरबार के सेवादारी संतोष चंदवानी ने बताया कि माता साहिब का जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि वर्ष-1826 में हुआ था। उनका विवाह वर्ष-1846 में दरबार के चतुर्थ पीठाधीश सतगुरु संत तनसुखराम साहिब के साथ हुआ। उनके ब्रह्मलीन हो जाने के कारण उनकी आज्ञा एवं आर्शीवाद से वर्ष-1852 में माता साहिब, शदाणी दरबार की पांचवी पीठाधीश के रूप में विराजित हुई। दरबार तीर्थ में संगीत शिक्षा, हिंदी, संस्कृत की पाठशाला और मंदिर का नवनिर्माण कराया। महिलाओं को स्वावलंबी बनाया। अनेक जरूरतमंदों, अपाहिजों को आश्रय दिया। वर्ष-1856 में श्री गुरुग्रंथ साहिब, रामायण एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों की स्थापना करवाई थी।
Posted By: Ashish Kumar Gupta
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