रायपुर। छत्तीसगढ़ में मेडिकल पाठ्क्रमों को निजी विश्वविद्यालयों के हाथों सौंपने की तैयारी के बीच नर्सिंग कालेज एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध शुरू कर दिया। शासन के फैसले के खिलाफ मामला हाईकोर्ट में चला गया है।
चिंता इसिलए भी बढ़ गई है कि मेडिकल पाठ्यक्रम से जुड़ी मान्यता निजी विश्वविद्यालयों हाथों में जाने से सीट की गुणवत्ता के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बुरा असर पड़ेगा। मिली जानकारी के अनुसार आयुष विश्वविद्यालय लगातार पिछले 10 माह से चिकित्सा शिक्षा को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में अपना अभिमत (पत्र संलग्न) संबंधित सारे विभागों और उच्च अधिकारियों को समय-समय पर दे रहा है।
साथ ही इस ओर अपनी चिंता भी जाहिर कर रहा है। चिकित्सा शिक्षा भी निजी विश्वविद्यालयों को ऐसे समय पर दी जा रही है जब प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के फर्जीवाड़े आम हैं। इस पर शासन की जांच रिपोर्ट यह बताती है कि निजी विश्वविद्यालय न कोई रिकार्ड रख रहे हैं और न ही शासन के कोई नियम को मान रहा है।
नर्सिंग कालेज एसोसिएशन और आइएमए ने भी जताया विरोध
नर्सिंग एसोसिएशन और आइएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को चिकित्सा शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम देना और सरकारी विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त करना शासन की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है। प्राइवेट नर्सिंग कालेज एसोसिएशन छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा को बेचने के ऐसे सारे प्रयासों का विरोध करेगा।
नर्सिंग कालेज एसोसिएशन अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा, शिक्षा विभाग के गलत कामों का विरोध अंत तक किया जाएगा। यह चिकित्सा शिक्षा को बेचने का षड्यंत्र है। यह सीधा स्वास्थ्य व्यवस्था और समाज के लिए नुकसान है। हाई कोर्ट में मामला गया है। मुख्यमंत्री से भी मांग करेंगे कि मेडिकल पाठ्यक्रम निजी विश्वविद्यालयों को न दिया जाए।
Posted By: Ashish Kumar Gupta
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