रायपुर। Helth News: एम्स में मेडिसिन रिसर्च सेंटर बनाने की तैयारी है। इसके लिए एम्स रायपुर और नई दिल्ली स्थित सेंट्रल काउंसिल फार रिसर्च इन योगा एंड नेचुरोपैथी के मध्य शनिवार को सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए हैं।
एम्स प्रबंधन के अनुसार एम्स में माइंड-बाडी मेडिसिन रिसर्च सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस सेंटर में कैंसर, स्ट्रोक, मधुमेह, मोटापा, मानसिक समस्या और अन्य आधुनिक दिनचर्या संबंधी बीमारियों पर शोध कर उनका आयुष के माध्यम से इलाज ढूंढा जाएगा। सेंटर के माध्यम से विभिन्न् संस्थानों के पास उपलब्ध क्लिनिकल डेटा का उपयोग आयुष संबंधी शोध में संभव हो सकेगा।
जिससे नान कम्युनिकेबल डिजिज के इलाज में आयुष का प्रभावी प्रयोग किया जा सकेगा। सेंटर योग पर शोध का महत्वपूर्ण केंद्र भी बन सकेगा जहां चिकित्सकों, छात्रों और योग आचार्यों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन एम नागरकर और सीसीआरवाइएन के निदेशक डा. राघवेंद्र राव ने आनलाइन माध्यम से एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
योग के मेडिकल आफिसर विक्रम पई ने बताया कि नए सेंटर की मदद से चिकित्सकों, शोधार्थियों, छात्रों और योग के आचार्यों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसमें होने वाले शोध को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा। सेंटर के लिए एक कंस्लटेशन रूम और एक हाल पहले से ही निर्धारित किया जा चुका है। यहां दो रिसर्च आफिसर और दो योग थैरेपिस्ट भी नियुक्त किए जाएंगे। प्रबंधन ने बताया कि इससे अन्य विभागों में रोगियों की संख्या कम करने में काफी मदद मिलेगी।
आयुष की स्थापना के बाद से बड़ी संख्या में शोध संबंधी आंकड़े एकत्रित किए गए हैं। नया मेडिसिन रिसर्च सेंटर इस डेटा को आवश्यक चिकित्सा प्रणाली में बदलने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। विभिन्न् क्लिनिकल विभाग रोगियों का अत्याधिक भार महसूस कर रहे हैं। ऐसे में आयुष इस भार को कम करने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। एलोपैथी और आयुष मिलकर रोगियों के इलाज में उपयोगी हो सकते हैं।
डा. नितिन एम नागरकर, एम्स-रायपुर
Posted By: kunal.mishra
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