रायपुर। इन दिनों सर्वत्र 'नाटू-नाटू" सुनाई दे रहा है। घर, कार्यालय, स्कूल, कालेज, बाजार, गार्डन, जहां देखो वहीं आस्कर अवार्ड प्राप्त करने वाली भारतीय फिल्म 'आरआरआर" की चर्चा है। इंटरनेट मीडिया पर तो इसकी धूम मची हुई है। इस फिल्म ने भारत का नाम रोशन किया है। फिल्म का गाना 'नाटू-नाटू" तो अत्यंत लोकप्रिय है। छोटे-छोटे बच्चे भी इस गाने पर थिरक रहे हैं। इस गाने को तैयार करने में बड़ी मेहनत लगी है। कड़ी मेहनत से ही आशातीत सफलता मिलती है, इस फिल्म से यह सीख लेने की जरूरत है। गाना लिखने में ही 19 माह लग गए। सोचिए कितने धैर्य की जरूरत पड़ी होगी। गाने का 90 प्रतिशत हिस्सा तो बस आधे दिन में बन गया था, लेकिन 10 प्रतिशत ने 19 माह का समय लिया। हम इस गाने पर थिरकने के साथ ही यह सीखें कि बड़ी सफलता बड़ी मुश्किल से मिलती है, तभी उसे जमाना सराहता है।
ऐसे रोकें अपराध
इंटरनेट मीडिया पर दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव छाए हुए हैं। पकड़े गए अपराधियों से वे बड़े ही रोचक और चुटीले अंदाज में पूछताछ करते हैं। उनकी बातचीत का इतना गहरा असर होता है कि कुछ अपराधी अपनी करनी पर पछताने लगते हैं, शर्मिंदा होते हैं और कई तो रोने लगते हैं। उन्हें लगता है कि उन्होंने गलत किया है। पूछताछ का वीडियो इंटरनेट मीडिया के जरिए तमाम लोग देखते हैं। अपराध रोकने की दिशा में एसपी पल्लव का यह अच्छा तरीका है। सुधार सिर्फ डंडे से ही नहीं होता, बल्कि इस तरह के प्रयोग से भी अपराध कम किया जा सकता है। इस तरह का नवाचार रायपुर सहित राज्य के सभी जिलों में किया जाए तो निश्चय ही अपराध पर लगाम लगेगी। पुलिस का डर न होने से अपराध तेजी से बढ़ रहा है, जिसे रोकना बहुत जरूरी है। आम लोग भी जागरूक हों और पुलिस का पूरा सहयोग करें।
बच्चों को न जाने दें कुमार्ग पर
आजकल छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग बड़ा अपराध कर बैठते हैं। समाज की स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो गई है। नशे की प्रवृत्ति लोगों में बढ़ी है। नशे में अपराध हो जाता है। भले ही बाद में पछताना पड़े। लोग दूसरों को ही नहीं, बल्कि अपनी पत्नी, अपने भाई, पिता, बेटे या अन्य निकट संबंधियों को मौत के घाट उतार रहे हैं। ऐसे बिगड़े माहौल का नई पीढ़ी पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ रहा है। छोटी उम्र से ही बच्चे गांजा-शराब का सेवन करने लगते हैं। घर से जब पैसा नहीं मिलता तो वे नशे के लिए चोरी, लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देने लगते हैं। आज के बुरे माहौल में अभिभावकों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। पहले तो वे अपनी बुरी आदतें त्यागें। फिर बच्चों पर ध्यान दें। काम से कुछ समय निकालें और बच्चों से बात करें। उनकी समस्याएं दूर करें। ऐसा करने से बच्चे बिगड़ने नहीं पाएंगे।
बुजुर्गों को दें अच्छा माहौल, करें सम्मान
बुजुर्गों के पास अनुभव का भंडार होता है। यह हम पर निर्भर करता है कि उनसे कितना ज्ञान ले पाते हैं। समय निकालकर बुजुर्गों के पास बैठना चाहिए, उनसे बातचीत करनी चाहिए। इससे उनका भी अकेलापन दूर होगा। कुछ लोग आश्रमों में जाकर बुजुर्गों के साथ अपना जन्मदिन मनाते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं, उनका मनोरंजन करते हैं। रायपुर के कई उद्यानों में बापू की कुटिया बनाई गई है। वहां बुजुर्गों के लिए पुस्तकें और गाने-बजाने के लिए वाद्ययंत्र रखे गए हैं। कई बुजुर्ग इसका भरपूर लाभ ले रहे हैं। उनका खालीपन दूर हो रहा है। कुछ बुजुर्ग अपने अतीत के पलों को याद करते हैं। एक-दूसरे से मिलते हैं तो कई पुरानी बातें साझा करते हैं। ऐसी गतिविधियां चलती रहें तो बुजुर्ग खुश रहेंगे और आश्ाीर्वाद लुटाएंगे। घरों में भी उनके लिए अच्छा माहौल होना चाहिए। जली-कटी बातें कहकर उनका दिल नहीं दुखाना चाहिए। उनका पूरा सम्मान करना चाहिए।
Posted By: Ashish Kumar Gupta
- Font Size
- Close