रायपुर। राज्य ब्यूरो। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद उन्मूलन के लिए राज्य सरकार ने नई नीति बनाई है। इसे लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे को घेर रही हैं। भाजपा का कहना है कि नक्सल पीड़ित स्वजन व आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राहत और मदद के लिए बनी नीति से बेहतर नीति दूसरे राज्यों की है। यह केवल चुनावी जुमला है। जबकि कांग्रेस ने राज्य मंत्रिमंडल की ओर से अनुमोदित नई नक्सल नीति का स्वागत किया है।

कांग्रेस का कहना है कि भूपेश सरकार ने राज्य में नक्सलवाद के उन्मूलन और शांति की बहाली के लिए ठोस प्रयास किए। अब नक्सल प्रभावितों और सुरक्षा बलों के जवानों, जनसामान्य को नक्सल नीति से राहत देने का विशेष प्रविधान होने पर सरकार के प्रति सभी का भरोसा बढ़ेगा। राज्य में शांति बहाली की गति में तेजी आएगी। साथ ही सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सामरिक रूप से भी नक्सलवादियों का मुकाबला संभव हो सकेगा।

सरकार में लड़ने का जज्बा ही नहीं: अजय चंद्राकर

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने कहा कि पुनर्वास को लेकर छत्तीसगढ़ में जो नीति बनी है उससे तो बेहतर तेलंगाना और दूसरे राज्यों को की है। उन्होंने कहा कि सरकार की पूरी नीति चुनावी है। चुनाव के समय बहुत सारे जुमले आते हैं। कुल मिलाकर पूरा काम कागजों पर है। नीति से कुछ नहीं होता है, लड़ने की ताकत से होता है। पुनर्वास नक्सल उन्मूलन की नीति एक हिस्सा है, लेकिन राज्य सरकार में लड़ने का जज्बा ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने कई वादे किए और पूरे नहीं किए। सरकार की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है।

विश्वास, विकास और सुरक्षा के आगे नक्सलियों की कमर टूटी: शुक्‍ला

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश सरकार के द्वारा नक्सलवाद को खत्म करने चलाई जा रही विश्वास विकास और सुरक्षा की नीति का स्पष्ट दबाव नक्सलियों के ऊपर दिख रहा है। नक्सलियों की कमर टूटी है। सुरक्षा में लगे जवान नक्सलियों के गोली का जवाब गोली से दे रहे हैं। नक्सलियों को पीछे खदेड़ हैं।

बीते चार साल में प्रदेश में नक्सलवादी गतिविधियों में 80 प्रतिशत की कमी हुई है। नक्सलियों के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, एनकाउंटर हुआ है। अब नक्सली छत्तीसगढ़ छोड़कर भाग रहे। वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक के आंकड़ों को यदि देखा जाए तो इस दौरान राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे, जो कि बीते साढ़े तीन वर्षों में घटकर औसतन रूप से 250 तक रह गई है।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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