रायपुर। Raipur News मौत के 19 साल बाद मृत व्यक्ति के स्वजनों को 5.40 लाख रुपए की बीमा क्लेम मिलेगा। दरअसल राज्य उपभोक्ता आयोग ने दि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बिलासपुर को 45 दिन के भीतर क्लेम राशि देने का आदेश दिया है। बता दें कि बीमा राशि नहीं मिलने पर पीड़ित महिला ने वर्ष 2009 में जिला उपभोक्ता फोरम बिलासपुर में परिवाद दायर किया था। इसकी जांच करने के बाद कंपनी को समंस जारी कर अपना पक्ष रखने कहा गया था।
राज्य उपभोक्ता आयोग से मिली जानकारी के अनुसार एसईसीएल मध्यप्रदेश के अनूपपुर स्थित मांइस में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का 16 अक्टूबर 1999 से 15 अक्टूबर 2009 की अवधि के लिए सामूहिक बीमा कराया गया था। इस दौरान सात फरवरी 2004 को उदयभान सिंह की हत्या हो गई। इस घटना के बाद चार वर्ष बाद उनकी पत्नी रामरति सिंह ने वर्ष 2008 में बिलासपुर स्थित दि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी में बीमा दावा राशि के लिए क्लेम किया। लेकिन कंपनी ने विलंब से क्लेम करने और हत्या को दुर्घटना नहीं मानने का हवाला देते हुए उसे खारिज कर दिया था।
इस दौरान कंपनी ने अपना बचाव करते हुए कहा कि बीमा पालिसी 2002 में निरस्त कर दी गई थी। इसकी सूचना सभी को भेजी गई है। कंपनी केवल दुर्घटना होने पर ही क्लेम को स्वीकार करती है। बीमित व्यक्ति की हत्या के कारण मौत हुई है। इसलिए यह दुर्घटनात्मक मृत्यु की श्रेणी में नहीं आती। बीमा राशि के लिए किया गया क्लेम घटना के चार वर्ष बाद किया गया है। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए पीड़ित को क्लेम का राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
क्लेम नहीं देने के लिए आयोग पहुंची कंपनी
जिला फोरम के आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की, जहां आयोग के अध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया और सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा ने दस्तावेजों का निरीक्षण किया। इस दौरान पता चला कि बीमा पालिसी के निरस्तीकरण की व्यक्तिगत सूचना बीमाधारक को नहीं दी गई थी। बीमा पालिसी की शर्तों में किसी प्रकार का संशोधन बीमा कंपनी अकेले नहीं कर सकती थी। सुप्रीम कोर्ट में हत्या से मृत्यु को दुर्घटनात्मक मृत्यु माना गया है।
राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत एवं आईआरडीए का दिशा निर्देश है कि केवल विलंब के आधार पर वास्तविक दावों को निरस्त नहीं किया जा सकता। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए 30 दिसंबर 2021 से पांच लाख रुपये छह प्रतिशत मय ब्याज के साथ ही मानसिक पीड़ा के रूप में पांच हजार और वाद व्यय तीन हजार रुपये बीमा कंपनी मृतक के स्वजनों को अदा करने का आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग ने दिया है।
Posted By: Vinita Sinha
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