रायपुर। छत्तीसगढ़ में ईडी के नाम पर खेेला हो गया। चौंकिए नहीं, हम बात कर रहे हैं फर्जी ईडी अधिकारी राजेश चौधरी की। मुंबई के एक प्रिंटिंग प्रेस में कार्यरत राजेश को जब पता चला कि छत्तीसगढ़ में मनी लांड्रिंग, कोयला परिवहन घोटाले को लेकर अफसरों, कारोबारियों को ईडी गिरफ्तार कर जेल भेज रही है, तब उसने खुद को ईडी अफसर बताते हुए फर्जी आइ कार्ड बना लिया।

इसके बाद उसने यहां जेल में बंद एक कोयला कारोबारी के परिवार वालों से संपर्क कर भरोसा दिलाया कि उसकी पहुंच तगड़ी है। वह सेटिंग की बदौलत सारी कार्रवाई को खत्म करा देगा। यह काम कराने के नाम पर उसने 20 लाख रुपये ले लिए। लेकिन जब काम नहीं हुआ, तब फर्जीवाड़ा खुला। इससे साफ है कि ईडी की जारी छापामार कार्रवाई और गिरफ्तारियों से कई कारोबारी और अफसर काफी घबराए हुए हैं और वे इससे बचने के उपाय भी तलाश रहे हैं।

हेड कांस्टेबल बना सप्लायर

पुलिस लाइन में पदस्थ एक हेड कांस्टेबल की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। दरअसल विभागीय ड्यूटी बजाते हुए इस कांस्टेबल ने बिल्डिंग मटेरियल का बड़ा कारोबार करना शुरू कर दिया है। लाइन के बड़े पुलिस अधिकारियों तक को कांस्टेबल के सप्लायर बनने की भनक तक नहीं लगी है, लगे भी कैसे? पिछले दस-बारह वर्षों से लाइन से यह हिला तक नहीं। आराम की मनमर्जी ड्यूटी लगवाने के बाद दिनभर गायब रहकर वह निर्माणाधीन भवनों की तलाश में निकल पड़ता है।

शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं बचा है, जहां उसने नकदी लेकर निर्माण सामग्री की आपूर्ति न की हो। बताया जा रहा है कि इस हेड कांस्टेबल के पिता आउटर के एक पुलिस थाने में बतौर प्रभारी के पद में पांच साल पहले रिटायर्ड हुए हैं। पिता के गुर बेटे में तो आना स्वाभाविक है। सो पैसा कमाने के जुनून में दिन-रात की मेहनत रंग लाने लगी है।

टिकट के लिए आप पर भरोसा

राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-भाजपा के साथ तीसरे मोर्चे ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है। इस बार सत्ता के साथ विपक्ष के कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने की चर्चा है। लिहाजा दोनों दलों के टिकटार्थी अपनी नई सियासी जमीन बचाने की कवायद में जुट गए हंै। दस से अधिक विधायकों के साथ पूर्व विधायकों को इस बार अपने दल से टिकट मिलने में संदेह है। ऐसे में तीसरे मोर्चे के रूप में स्थापित हो रही आम आदमी पार्टी की तरफ कुछ ने रुख किया है।

भाजपा इस बार सत्ता में आने के लिए पूरा दमखम लगा रही है। कांग्रेस भी दोबारा सत्ता पर काबिज होने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसे में दोनों दलों से टिकट न पाने वाले आप को नए ठिकाने के रूप में देख रहे हैं। जुगत लगा रहे हैं। वैसे भी इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प बचा नहीं है।

डीजे ने कराया इंस्पेक्टर को निलंबित

कानफोड़ू डीजे को बंद न करवाने की सजा आरपीएफ के एक इंस्पेक्टर को निलंबन के रूप में मिली। दरअसल हुआ यूं कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन की रेलवे कालोनी में एक शादी समारोह में देर रात तक तेज आवाज में डीजे बज रहा था। इससे आरपीएफ के एक साहब की नींद में खलल पड़ रही थी। लिहाजा उन्होंने तत्काल इंस्पेक्टर को मौके पर जाकर डीजे बंद करवाने का फरमान सुनाया।

इंस्पेक्टर ने भी कामचोरी की, खुद न जाकर उसने कर्मचारी को डीजे बंद करवाने के लिए भेज दिया। डीजे तो बंद हो गया, लेकिन जब साहब को असलियत का पता चला तो उन्हें यह नागवार गुजरी और सीधे इंस्पेक्टर को निलंबन का फरमान सुना दिया। हालांकि अभी तक निलंबन लिखित रूप में सामने नहीं आया, सो इंस्पेक्टर साहब भी शांत हैं। कहा जा रहा है कि साहब के इस फरमान से महकमे के कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।

Posted By: Pramod Sahu

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