रायपुर। न्यायिक सक्रियता के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर दृष्टांत प्रस्तुत करता रहा प्रदेश्ा का हाई कोर्ट सामाजिक सरोकारों में भी पीछे नहीं है। सूचना तकनीक के बढ़ते प्रयोग के साथ ही साइबर अपराध की जड़ें दिनोदिन फैलती जा रही हैं। हाई कोर्ट ने इस समस्या को भी संज्ञान में लेकर पहल की है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए साइबर अपराधी चुनौती बने हुए हैं। साइबर अपराध से बचाव के नए प्रबंध के साथ ही अपराधी उसकी काट निकाल लेते हैं।
जिस गति से इंटरनेट मीडिया का उपयोग बढ़ा है, उसी गति से साइबर अपराध भी बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट उपयोगकर्ता मिलते-जुलते एप के झांसे में आकर लगातार ठगी शिकार हो रहे हैं। महत्वपूर्ण व गोपनीय शासकीय दस्तावेज भी असुरक्षित हो जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने भी साइबर अपराधियों से महत्वपूर्ण शासकीय व गोपनीय दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
इन जटिल परिस्थितियों के बीच छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने साइबर अपराध को गंभीरता से लेते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रदेश के शासकीय कार्यालयों के विभाग प्रमुखों के जरिए साइबर क्राइम से सतर्क रहने के लिए जनजागरण अभियान चलाने के लिए निर्देशित किया है।
आम लोगों के बीच इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के सही तरीके से उपयोग और ठगी से बचने के उपायों की जानकारी देने का कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। अब तक यह स्पष्ट हो चुका है कि सतर्कता ही साइबर अपराध से बचने का प्रमुख हथियार है। जनसाधारण की सजगता और सक्रियता से ही इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
डाक्टर, इंजीनियर, नौकरशाह और शिक्षाविद से लेकर कानूनविद तक इंटरनेट मीडिया के ठगों के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा दे रहे हैं। कानूनी सख्ती और तकनीकी विकास से ठगी के मामलों को हद तक नियंत्रित तो किया जा सकता है, बचाव के लिए जागरूकता ही आवश्यक है। सामाजिक सरोकार के मामले में हाई कोर्ट पहले भी उदाहरण प्रस्तुत करता रहा है। स्वस्थ हो चुके 120 से भी अधिक मानसिक रोगियों को हाई कोर्ट के प्रयास से स्वजन के पास भेजा जा चुका है।
बुजुर्गों के लिए आसरा, जेल में बंद कैदियों को समय पर न्याय दिलाने और बंदियों की रिहाई के लिए उन्मुक्त योजना आदि की पहल हाई कोर्ट ने ही की है। साइबर क्राइम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस विभाग पहले ही प्रयासरत है। उम्मीद की जा सकती है हाई कोर्ट की पहल से पुलिस के प्रयासों को भी बल मिलेगा। इंटरनेट मीडिया के जरिए सकारात्मक कार्यों में सक्रिय रहने वाले लोगों का भी दायित्व है कि जागरूकता अभियान में भागीदार बनंे।
यह चुनौती आम से खास लोगों के लिए बराबर की है इसलिए सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। साइबर अपराध से बचने के लिए हमें अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। पुलिस पर साइबर अपराध को नियंत्रित करने के बढ़ते बोझ के बीच उम्मीद की जानी चाहिए हाई कोर्ट का प्रयास सहायक साबित होगा।
Posted By: Pramod Sahu
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