रायपुर। राज्य के लिए यह गौरव का विषय है कि यहां की तीन विभूतियों का चयन इस वर्ष के पद्म सम्मान के लिए किया गया है। दुर्ग की पंडवानी गायिका उषा बारले, बालोद के नाचा गम्मत के कलाकार डोमार सिंह कंवर तथा कांकेर के काष्ठ शिल्पी अजय कुमार मंडावी ने वर्षाें के कड़े परिश्रम से राज्य को गौरवान्वित किया है। इनके अतिरिक्त वर्तमान में भिलाई में निवासरत नाभिकीय भौतिकी के वैज्ञानिक प्रकाश चंद सूद का चयन भी पद्मश्री सम्मान के लिए किया गया है।
कांकेर के काष्ठ शिल्पी अजय कुमार मंडावी ने काष्ठ पर नक्काशी की कला का उपयोग जेल में बंद नक्सलियों तथा अन्य दुर्दांत अपराधियों का जीवन संवारने में किया है। उन्होंने 350 से अधिक बंदियों को काष्ठ कला में पारंगत किया है। उनके शिष्यों में से एक पूर्व नक्सली चैतू काष्ठ कला के माध्यम से देश भर में सम्मान पा रहा है। अजय की काष्ठ कलाकृति वंदे मातरम को गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है।
पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित दुर्ग की पंडवानी गायिका उषा बारले ने पंडवानी गायन की प्राचीन कला को आगे बढ़ाने में अपना पूरा जीवन लगा दिया। वे लंदन, न्यूयार्क सहित विश्व के कई बड़े शहरों में प्रस्तुति दे चुकी हैं। बालोद जिले के नाचा गम्मत के कलाकार डोमार सिंह कुंवर ने छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य नाटक की परंपरा को जीवंत बनाए रखा है। डोमार नृत्य कला के साधक और प्रसिद्ध कलाकार हैं।
उन्होंने 1966 मंे मयारू मोर लाटाबोड़ लोक नाचा सुल्ताना डाकू का निर्देशन किया। आज भी वह मंच पर परी तथा सुल्ताना डाकू बनकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। उनके नाटकों की देशभर में पांच हजार से अधिक प्रस्तुतियां हो चुकी हैं। अपने नाटकों के माध्यम से वे बाल विवाह, अंधविश्वास तथा नश्ो का निषेध तथा साक्षरता आदि को लेकर जनजागरण भी करते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्म मन के बात मन में रहिगे के निर्माता डोमार सिंह ने चंपा चमेली, मजाक होगे महंगा, लाली के मया, सोन चिरई आदि एल्बमों में अभिनय भी किया है। देश विदेश में उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं।
अब 75 वर्ष की आयु में पद्मश्री सम्मान मिलना निश्चित तौर पर उनके समर्पण को सम्मान है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के भिलाई में निवासरत वैज्ञानिक प्रकाश चंद सूद को आंध्र प्रदेश कोटे से शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान मिलेगा। सूद एपीजे अब्दुल कलाम, राजा रमन्न्ा, अब्दुस्सलाम आदि महान वैज्ञानिकों के साथ काम कर चुके हैं। पद्म सम्मान प्राप्त करने वाली यह विभूतियां राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर उस पर निरंतर अग्रसर होना आसान नहीं है किंतु इन सबने यह दिखाया है कि जिजीविषा, कठिन परिश्रम और लगन से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। राज्य को इन पर गर्व है। समाज की जिम्मेदारी है कि इनके कार्यों को युवा पीढ़ी के बीच अधिक से अधिक प्रसारित करे।
Posted By: Pramod Sahu
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