रायपुर(ब्यूरो)। प्रदेश के विभिन्न जिलों में मध्यम व वृहद उद्योगों ने पांच वर्षों में खरीदी गई चार हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन का डायवर्सन नहीं कराया है। यह मामला शुक्रवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में जोरशोर से उठा। इस पर राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा कि ऐसी जमीन पर सीलिंग एक्ट लागू करने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है। किसी को भी अधिकतम सीमा से अधिक जमीन रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने उद्योगों द्वारा भूमि के क्रय और डायवर्सन के बारे में पूछा। राजस्व मंत्री ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में मध्यम व वृहद उद्योगों द्वारा पिछले पांच वर्षों में 67 सौ हेक्टेयर जमीन खरीदी गई है। ी बघेल ने कहा कि उद्योगों द्वारा खरीदी गई जमीन में से केवल तीन हजार 864 हेक्टेयर जमीन का ही डायवर्सन कराया गया है। चार हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन का डायवर्सन नहीं हुआ है। राजस्व मंत्री ने कहा कि कोई भी भूमि स्वामी निजी जमीन के उपयोग के लिए स्वंतत्र है। उद्योगों द्वारा बिना डायवर्सन के जमीन रखने का मामला सामने आने के बाद कलेक्टरों को ऐसी जमीन पर सीलिंग एक्ट लागू करने के लिए पत्र लिखा गया है। ी बघेल ने कहा कि विधानसभा में यह अधिनयम पारित किया गया है कि प्रदेश में केवल किसान ही कृषि जमीन खरीद सकते हैं। राजस्व मंत्री ने कहा कि कोई भी संस्था कृषि जमीन खरीद सकती है, लेकिन उसमें अधिकतम भूमि सीमा का कानून लागू होता है। ी बघेल ने पूछा कि उनके द्वारा जो जानकारी मांगी गई थी, उसमें केवल दस जिलों की जानकारी दी गई है। उन्होंने अधिकारियों द्वारा आधी-अधूरी जानकारी देने का आरोप लगाते हुए प्रश्न को अगले सत्र के लिए बढ़ाने का आग्रह आसंदी से किया। इस पर राजस्व मंत्री ने कहा कि पूरी जानकारी दी गई है। अगर उद्योगों द्वारा जमीन का डायवर्सन नहीं कराया गया है तो उस पर सीलिंग एक्ट लागू होगा। ी बघेल ने पूछा कि सीलिंग एक्ट की कार्रवाई कब तक होगी? राजस्व मंत्री ने कहा कि कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है और यह सतत्‌ चलने वाली प्रक्रिया है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि उद्योगों द्वारा बिना डायवर्सन कराए ली गई जमीन से सीलिंग एक्ट का उल्लंघन हुआ है।

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