रायपुर (अभिषेक राय)। World Cancer Day Special राजधानी के आंबेडकर अस्पताल के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान का पीडियाट्रिक वार्ड, कैंसर के दर्द पर शारीरिक और मानसिक जीत पाने का साधना स्थल से कम नहीं है। यहां भर्ती बच्चों के साथ ही उनके स्वजन और यहां ड्यूटी देने वाले डाक्टर सभी धीरे-धीरे मुस्कुराहटों के पीछे दर्द छिपाने का तरीका सीख जाते हैं, ताकि बच्चों का हौसला बना रहे। जिंदगी की उम्मीदें बहुत कम रहने के बावजूद इसका भान कभी होने नहीं देते।
सूरजपुर निवासी संजय साहू का तीन साल का बेटा शिवम ब्लड कैंसर से पीड़ित है। वह करीब एक साल से आंबेडकर अस्पताल में भर्ती है। संजय बताते हैं कि शिवम को एक बार तेज बुखार आया। अस्पताल में लाकर जांच कराए तो ब्लड कैंसर निकला। तब से भर्ती कराया है। इस दौरान दो-तीन बार ही घर गए हैं। वे बताते हैं कि वार्ड में 11 बच्चे थे, जिनमें से चार ही बचे हैं। इसके बाद उनका गला रुंधने लगता है और वे अपने आंसुओं को रोकने की भरसक कोशिश करते हैं, लेकिन गालों से बहते हुए वह कपड़ों तक पहुंच ही गए।
बच्चों को एहसास नहीं कि वे कैंसर से पीड़ित हैं
इस वार्ड में खरोरा निवासी गिरजा बाई का चार वर्षीय बेटा तुषार, जांजगीर-चांपा निवासी कुमारी बाई की आठ वर्षीय बेटी मेघा और बलरामपुर का सात वर्षीय शिवकुमार भी भर्ती हैं। मेघा को ब्रेन कैंसर है। तुषार सिर्फ दर्द को जानता है। उसे इस बात का जरा भी एहसास नहीं कि वह गंभीर बीमारी से पीड़ित है। वह कागज में समोसा लिए हुए था। जैसे ही डाक्टर जांच को पहुंचे, वह उसे छिपाने लगा। इस पर डाक्टर हंस पड़े। कुछ पलों में ही यह लगने लगा कि इस वार्ड में जिंदगी के कई रंग छिपे हैं।
घर पहुंचने पर भी सताती रहती है मरीजों की चिंता
आंबेडकर अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. प्रदीप चंद्राकर कहते हैं कि 15 वर्षों में डेढ़ लाख से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज कर चुके हैं। घर जाने के बाद भी मरीजों की ही चिंता सताती रहती है। कैंसर रोग विशेषज्ञ व एसोसिएट प्रोफेसर डा. राहुल स्वरूप सिंह ने बताया कि 10 वर्षों में करीब एक लाख कैंसर मरीजों का इलाज कर चुके हैं। किसी मरीज की मौत होने पर कई रात नींद नहीं आती। डाक्टरों ने कहा कि कभी भी अस्पताल पहुंचना पड़ सकता है, इसके लिए वे चौबीसों घंटे अलर्ट मोड में रहते हैं।
एक वर्ष में 60 हजार कैंसर रोगी आए, छह हजार नए केस
आंबेडकर अस्पताल स्थिति कैंसर सेंटर में एक वर्ष में 60 हजार से अधिक कैंसर के मरीज पहुंचे हैं। इनमें 55 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं हैं। इनमें छह हजार नए केस मिले। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार छत्तीसगढ़ में पुरुषों के 50 प्रतिशत और महिलाओं के 20 प्रतिशत मामले में कैंसर की वजह तंबाकू का सेवन है। क्षेत्रीय कैंसर संस्थान, आंबेडकर अस्पताल, रायपुर के डा. विवेक चौधरी, विभागाध्यक्ष ने बताया कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत भी कैंसर से हो रही है। ल्यूकेमिया या ट्यूमर का शुरुआती स्टेज में इलाज संभव है। जान बचाई जा सकती है। बच्चों में कैंसर जेनेटिक (अनुवांशिक), पर्यावरण में हो रहे बदलाव या फिर किसी अन्य कारण से हो सकते हैं।
Posted By: Vinita Sinha