रायपुर। Raipur News किसी भी अनुसंधान को गुणवत्ता की कसौटी पर खरे उतरना चाहिए। इसके लिए शोध में नैतिकता बेहद जरूरी है। शोध कार्य का उद्देश्य हमेशा सामाजिक उत्थान को लेकर होना चाहिए। केवल डिग्री के लिए अनुसंधान करना उद्देश्य न होकर देश की पहचान पूरे दुनिया तक पहुंचाने के लिए होना चाहिए। यह कहना है वक्ताओं का। मंगलवार को शासकीय जे. योगानंदम् छत्तीसगढ़ कालेज के विधि विभाग की ओर से 'रिसर्च मैथोलाजी' (अनुसंधान विधि) पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने शोधार्थियों और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
इस मौके पर मध्यप्रदेश के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल की विधि विभाग की विभागाध्यक्ष डा. मोना पुरोहित ने कहा कि हर व्यक्ति को कानून की जानकारी होना चाहिए। कोई अपराधी यह कहकर नहीं बच सकता की उसे कोई जानकारी ही नहीं है। उन्होंने विधि में एथिक्स के बारे में जानकारी दी और पेटेंट और कापीराइट की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आप अनुसंधान करते समय नैतिकता का ध्यान रखें।
आने वाले समय में अनुसंधान में आएगी क्रांति: अयंगर
कलिंगा यूनिवर्सिटी के कुलपति डा.आर .श्रीधर अयंगर ने कहा कि भारत में अनुसंधान बहुत सीमित हो रहा है मगर आने वाले समय में अनुसंधान में क्रांति आएगी। अनुसंधान क्यों जरूरी है, इस पर बल देते हुए कहा कि पूरे न्यूटन ने एक प्रश्न अपने मन से पूछा कि सेव पेड़ के नीचे क्यों गिरा, ऊपर क्यों नहीं गिरा ? इसी तरह के प्रश्नों का समाधान करने के लिए अनुसंधान करने की सोच विकसित हुई। उन्होंने कहा रिसर्च में प्रश्र तार्किक होने चाहिए। अनुसंधान में परिकल्पना के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि बिना परिकल्पना के अनुसंधान वैध नहीं हो सकता है। परिकल्पना भी हमेशा तार्किक होना चाहिए। इसके अलावा शोध प्रश्न बेहद सरल और सटीक होने चाहिए। जिस विषय में हम अनुसंधान कर रहे हैं तो प्रश्न भी उससे संबंधित ही होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन विधि विभाग के सहायक प्राध्यापक व कार्यशाला आयोजन सचिव डा. भूपेंद्र करवन्दे ने किया।
गुणवत्तापरक होना चाहिए अनुसंधान: अमिताभ बैनर्जी
छत्तीसगढ़ कालेज के प्राचार्य डा. अमिताभ बैनर्जी ने कहा कि हमारा फोकस अनुसंधान की गुणवत्ता पर होनी चाहिए। हमारे देश में पेटेंट नहीं हो पाने की मुख्य वजह है कि हमारे पास अपने स्वयं के वास्तविक विचार कम आ रहे हैं। किसी भी विषय में हम नया क्या कर सकते हैं, इस पर विचार करें। हमारा अनुसंधान सामाजिक उत्थान के लिए होना चाहिए। अनुसंधान में धैर्य रखना बहुत जरूरी है। अनुसंधान की नैतिकता पर उन्होंने कहा कि हमें अपने अनुसंधान की बेहतर कार्ययोजना बनानी चाहिए। हमें साहित्य समीक्षा बहुत ही बेहतर तरीके से करना चाहिए। किसी भी अनुसंधान के पहले विषय से संबंधित उसकी पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। अनुसंधान में किस तरह विश्लेषण करें कि आपके शोध प्रश्नों का सही समाधान मिल सके।
जिस प्रश्न का जवाब नहीं वह प्रश्न ही नहीं: डा. अरुणा राना
मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर की एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर डा. अरुणा राना ने कहा कि जिस प्रश्न का जवाब नहीं है वह प्रश्न ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में हम समस्या को प्रस्तावित करते हैं। आपको किस बारे में अनुसंधान करना है। इसके बारे में जानकारी लेते हैं। अगर आपने समस्या सही उठाई है तो उसका समाधान भी निकल सकता है। अनुसंधान का अर्थ है कि कोई नई चीज को खोजना। सभी दिशाओं में घूमना ही अनुसंधान है। खोज की पुनरावृत्ति ही अनुसंधान है।
ज्ञान का विस्तार ही अनुसंधान है: डा. विनीता अग्रवाल
विधि विभाग की विभागाध्यक्ष डा. विनीता अग्रवाल ने कहा कि अनुसंधान एक प्रक्रिया है। इसमें सूचना, अनुसंधान और ज्ञान होता है। ज्ञान का विस्तार ही अनुसंधान है। किसी भी समस्या के समाधान करने के लिए हम क्या कर सकते हैं, इसी पर हम अनुसंधान करते हैं। उन्हाेंने बताया कि अनुसंधान के लिए क्या-क्या प्रक्रिया होती है। उन्होंने कहा की रिसर्च मैथोलाजी का यह वर्कशाप सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए लाभकारी है। कार्यशाला में विभिन्न विषयों में अनुसंधान कर रहे शोधार्थियों ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया और प्रस्तुतिकरण किया। इस मौके पर सहायक प्राध्यापक दिनेश मालवीय, सुरेश कुमार समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।
Posted By: Vinita Sinha
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