रायपुर। Shilp Sarovar Fair in Raipur: रायपुर के पंडरी हाट में इन दिनों शिल्प सरोवर मेला चल रहा है। इसमें विभिन्न राज्यों के कलाकार हैंडमेड और हस्तशिल्प की वस्तुएं लेकर पहुंचे हैं। मेले में हाथ से बनी कई अन्य कलात्मक और आकर्षक वस्तुएं मौजूद हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। इनमें कपड़े से लेकर दैनिक इस्तेमाल के साथ साज-सज्जा और पूजा-पाठ में भी काम आने वाली वस्तुएं हैं। फर्नीचर और मिट्टी के बर्तन भी मौजूद हैं। 28 मार्च तक चलने वाले इस मेले में दोपहर दो बजे से रात 10 बजे के बीच पहुंचकर आप अपनी पसंद की चीजें खरीद सकते हैं।

गर्मियों में रहती है कोल्हापुरी चप्पल की मांग

शिल्प सरोवर मेेले में महाराष्ट्र के कोल्हापुर के अनिल सावंत वहां के स्थानीय उत्पाद कोल्हापुरी चप्पल और जूते लेकर पहुंचे हैं। उनके पास छोटे बच्चे से लेकर महिला और पुरुष सभी के लिए चमड़े से बने डिजाइनर हैंडमेड चप्पल और जूते हैं।

उन्होंने बताया कि इससे पहले भी रायपुर आ चुके हैं। हैंडमेड चप्पलों को यहां के लोग काफी पसंद करते हैं, इसलिए बिक्री अच्छी होती है। चमड़े से बने जूते और चप्पल के बारे में अनिल ने बताया कि गर्मी के दिनों में ये राहत देते हैं। पैर के पसीने को चमड़ा सोख लेता है।, जिससे आंखों में जलन और सिर में दर्द नहीं होता।

उन्होंने बताया कि एक जोड़ी चप्पल को बनाने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। इसकी किमत 900 रुपये से शुरू होती है। अनिल पिछले 35 वर्षाें से इस कारोबार में हैं। उनके पिता भी यही करते थे। इसके लिए दोनों को नेशनल अवार्ड से भी मिल चुका है।

पाकिस्तानी दुपट्टे को लेकर युवतियों में क्रेज

यहां महिलाओं के लिए हैंडमैड कुर्ती, प्लाजो, अनारकली, सूट और फूलकारी ड्रेसों से कई स्टाल सजे हुए हैं। पंजाब के पटियाला शहर से हैंडमेड कपड़े लेकर मेले में पहुंचे नरेश कुमार पाकिस्तानी डुपट्टा लेकर आए हैं, जो मेले में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेले में आने वाली युवतियां पाकिस्तानी दुपट्टे को काफी पसंद कर रही हैं।

नरेश ने बताया कि पंजाब से लगे पाकिस्तानी इलाके में महिलाएं इस तरह के दुपट्टे रखती हैं। इसके कारण ही इसे पाकिस्तानी दुपट्टा कहा जाता है। उन्होंने बताया कि दुपट्टा बनाने की प्रकिया बहुत ही जटिल होती है। एक दुपट्टा बनाने में एक महीने का समय लग जाता है। चुनुन कपड़े पर रंगीन धागों से कढ़ाई कर उस पर शीशे का डाट लगाकर इसे आकर्षक बनाया जाता है।

अन्य राज्यों से आए शिल्पकारों ने भी लगाए स्टाल

11 दिवसीय इस मेले में कुल 60 स्टाल लगाए गए हैं। इसमें लगभग 12 राज्यों से आए शिल्पकार और कलाकार अपने उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं। इसमें जयपुर की चूड़ियां, राजस्थानी मोजरी एवं शूट, पटियाला फूलकारी वर्क, बंगाली काटन, चंदेरी साड़ियां, भागलपुर कपड़े, सहारनपुर क्राफ्ट, भदोही का कारपेट, आयरन क्राफ्ट, छत्तीसगढ़ का बेलमेटल, कोसा की साड़ियां, लखनवी चिकन हैंडलूम, बांस शिल्प, राजस्थानी टेराकोटा, राजस्थानी ज्वेलरी, कश्मीरी कश्मीना, मेरठ की खादी, बस्तर आर्ट, कोलकाता का काटन शूट, बनारसी साड़ी, क्राकरी, खाने में राजस्थानी पापड़, नमकीन आदि वस्तुएं शिल्प सरोवर की शोभा बढ़ा रही हैं।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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