रायपुर/जगदलपुर।Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के किसानों को गर्मी की फसल धान बोने के पहले अंकुरित बीज तैयार करने 72 घंटे बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। तापमान कम होने के कारण खेतों में छिड़का गया धान बीज अंकुरित नहीं होता इसलिए अंकुरण हेतु पहले 36 घंटे बीज को बोरियों में भरकर नदी-तालाब में डुबोना पड़ता है फिर 36 घंटे बारदानों में ढंक इसमें गर्म पानी छिड़कना पड़ता है। तब कहीं बीज अंकुरित होते हैं। इस पारंपरिक विधि को लाईचोपी कहा जाता है।
रबी की धान फसल खरीफ के मुकाबले अधिक उत्पादन देती है इसलिए छग के किसान इन दिनों लाखों एकड़ में गर्मी की धान फसल बोने में व्यस्त हैं। बताया गया कि खरीफ में रोपा पद्धति से धान लगाने पर प्रति एकड़ उत्पादन औसतन 20 क्विंटल तो रबी में 25 से 27 क्विंटल तक होता है इसलिए किसान काफी बड़े क्षेत्र में गर्मी फसल धान लेते हैं, परंतु इसके लिए पौधे तैयार करना भी जटिल है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. नारायण साहू बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में ठंड के दिनों में तापमान 14 से 16 सेंटीग्रेड तक रहता है इसलिए छिड़काव करने पर धान बीज खेतों में अंकुरित नहीं होते। मानसून के दिनों में तापमान 25 सेंटीग्रेड तक होता है इसलिए खेतों में सीधे छिड़का गया बीज अंकुरित हो जाता है। ग्रामीणों द्वारा लाईचोपी तैयार कर अंकुरित बीज तैयार करने की विधि पुरानी पर वैज्ञानिक है। धान और सब्जी बीज के स्वभाव अलग-अलग होते हैं। धान के लिए तापमान और आर्द्रता दोनों जरूरी है तभी धान अंकुरित हो पाता है। इन दिनों यह परिस्थिति नहीं है। इस कारण अंकुरण कर खेतों में छिड़काव करना पड़ता है।
Posted By: Ravindra Thengdi
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