Spiritual Raipur News: रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। यदि कर्ज न चुकाया तो वह कर्ज ब्याज पर ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के साथ एकत्र होकर कई गुना अधिक बढ़ जाता है। व्यक्ति ब्याज पर ब्याज देने में ही डूब जाता है। इसी तरह कर्म का बंध भी कर्ज लेने के समान ही है। धर्म, ध्यान करते रहने से कर्म के बंधन से बच सकते हैं। यह संदेश सदरबाजार स्थित ऋषभदेव जैन मंदिर में साध्वी शुभंकरा ने दिया।
साध्वीश्री ने कहा कि शुभ का बंध सुखदायी है तो अशुभ का बंध दुखदायी। यदि मुक्ति चाहिए तो चाहे शुभ का बंध हो या अशुभ का बंध, दोनों को ही एक दिन हमें छोड़ना होगा। शुभ या पुण्य के बंध को छोड़ने की आवश्यकता नहीं, वह स्वयं ही अपना फल प्रदान कर छूटता जाता है। ज्ञानियों ने कहा है कि स्थितियां-परिस्थितयां भले ही बदलती रहें किन्तु आपके शुभ कर्म, आपका धर्म आपसे कभी छूटना या बदलना नहीं चाहिए। आप दृढ़ प्रतिज्ञ होकर सदैव अपना धर्म निभाते रहें। निरंतर धर्म ध्यान-साधना, आराधना करते रहें एक दिन वह अवश्य आएगा जब आप स्वयंसिद्ध हो जाएंगे।
Posted By: Kadir Khan
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