राजनांदगांव । बंपर बारिश के बाद भी जिले में सूखे जैसा हाल निर्मित हो गया है। इसी अवधि में औसत बारिश का आंकड़ा 497 मिलीमीटर का है, जबकि अब तक जिले में 622 मिलीमीटर पानी गिर चुका है। यानी औसत से 25 प्रतिशत ज्यादा वर्षा, लेकिन चिंता का कारण बीते 20 दिनों से मात्र 105 मिमी ही बारिश होना है। यही कारण है कि मानसून की अपेक्षा से कहीं बेहतर सक्रियता के बाद भी अब खेतों में गिनती के दिनों के लायक पानी बचा है। कई जगह खेत सूखने लगे हैं।
शुरुआती दिनों में अपेक्षित बरसने वाला मानसून पिछले लगभग तीन सप्ताह से शांत है। बीते 10 वर्षों की औसत के हिसाब से जुलाई मध्य से अगस्त के पहले सप्ताह में 195 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस अवधि में बादल मात्र 113 मिलीमीटर ही बरस पाया। इस बीच बोआई का तो काम आसानी से निपट गया, लेकिन किसान अब बियासी व अंतिम चरण की रोपाई में पानी की कमी के कारण अटक गए हैं। इस वर्ष 2.89 लाख हेक्टेयर में धान की फसल ली गई है। इसमें 2.33 लाख हेक्टेयर में बोता पद्धति वाली है। रोपा पद्धति से धान की फसल का क्षेत्र 56 हजार हेक्टेयर है। खेतों में पानी कम होने के कारण किसान न तो खाद का छिड़काव कर पा रहे हैं और न ही निंदाई करा पा रहे हैं। इस कारण खरपतवार (बन) धान के पौधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आंकड़ों में अपेक्षित बारिश के बाद भी किसानों को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
बहाना पड़ा था जमा पानी
जुलाई के मध्य में जिले में जमकर बारिश हुई। खेतों में लबालब पानी भर गया था। तब बोआई को ज्यादा दिन नहीं हुए थे। इस कारण किसानों को पानी की उतनी जरूरत नहीं थी। इस कारण
खेतों में जमा पानी बहा दिया गया। अब जब पानी की जरूरत है तो बादल बरस नहीं रहा। इतना ही नहीं अतिवर्षा की स्थिति के बीच नदी का पानी खेतों में जाने से शुरुआती दिनों में कई किसानों को नुकसान भी झेलना पड़ा था। अब स्थिति ठीक उलट हो गई है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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