राजनांदगांव(वि.)। दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा सुभाषचंद्र बोस जयंती की जयंती पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डा.केएल टांडेकर द्वारा सुभाषचंद्र बोस के जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 1919 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद सुभाष इंग्लैण्ड चले गये और 1920 में उन्होंने भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। लेकिन नियुक्ति से पहले ही वे भारत लौट आए और भारत की स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए।
उन्होंने कहा कि कलकत्ता में प्रिंस आफ वेल्स के शाही दौरे के विरोध करने पर उन्हें जेल में डाल दिया गया। विभागाध्यक्ष डा.शैलेंद्र सिंह ने कहा कि 1938 में सुभाषचंद्र बोस को हरिपुरा अधिवेशन में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। तब वे 41 वर्ष की आयु में सबसे कम आयु के अध्यक्ष बने। सुभाषचंद्र बोस का अपना अलग दृष्टिकोण था उन्होंने जब देखा कि गांधी और कांग्रेस की मुख्य धारा को अपने तात्कालिक दृष्टिकोण से जोडने का उनका प्रयत्न सफल नहीं हो सकता तब उन्होने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु देश के बाहर जाने का निर्णय लिया था। 21 अक्टूबर 1943 का दिन भारतीय इतिहास में अविस्मरणीय है। इस दिन नेताजी ने स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की। इसमें 21 सदस्य थे। नेताजी ने आइएनए लोग का गठन किया था और सैनिकों को दिल्ली चलों का नारा दिया था। इस दौरान बसंतपुर थाना के टीआई राजेश साहू, डा.डीपी कुर्रे, डा.एचएस भाटिया, डा.केएन प्रसाद, प्रोफेसर नूतन देवांगन, प्रोफेसर संजय देवांगन, प्रोफेसर विकास कांडे, मंजरी सिंह, संजय सप्तर्षि, हेमंत नंदागौरी एवं डा. हेमलता साहू उपस्थित रहे।
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