राजनांदगांव(नईदुनिया प्रतिनिधि)। सांसारिक मोहमाया त्याग संयक पथ पर चलने वाले दीक्षार्थियों को गुरुवार को जैन बगीचे में भगवती दीक्षा दिलाई गई। दीक्षा लेने के पहले दीक्षार्थी भजनों पर झूमते रहे। इसके बाद दीक्षार्थियों ने सफेद वस्त्र धारण करने को दिया है। फिर केशलुंचन की विधि शुरू हुई। बालोद निवासी इकलौते बेटे ने माता-पिता के सामने दीक्षा ली।

गुरुवार को दिन जैन समाज के लिए ऐतिहासिक और खुशियों वाला रहा। क्योंकि पहली बार एक साथ परिवार के छह सदस्यों समेत आठ लोगों ने दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने के बाद

सभी दीक्षार्थी संयम के पथ पर चलकर अलख जाएंगे और मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएंगे। डाकलिया परिवार के माता-पिता ने अपने दो पुत्र और दो पुत्रियों सहित सांसारिक मोहमाया का त्याग कर अध्यात्म की राह अपना ली है। मुमुक्षुभूपेंद्र डाकलिया, उनकी धर्मपत्नी मुमुक्षु सपना डाकलिया, पुत्र मुमुक्षु देवेंद्र एवं मुमुक्षु हर्षित डाकलिया तथा दोनों पुत्रियां मुमुक्षु महिमा व मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया और कोंडागांव की मुमुक्षु संगीता गोलछा, राजनांदगांव की मुमुक्षु सुशीला लूनिया ने जिन पीयूषसागर सूरीश्वर मसा की मौजूदगी में दीक्षा ग्रहण की।

दीक्षा ग्रहण करने से पूर्व दीक्षार्थियों ने कहा कि दीक्षा का मार्ग सत्य और ईश्वर का मार्ग है। बालोद के सौरभ फूगड़ी ने अपने माता-पिता के इकलौते संतान है। उन्होंने अपने माता-पिता और जैन संतों की मौजदूगी में भगवती दीक्षा ग्रहण की।

नाचते झूमते दीक्षार्थियों ने आचार्य से रजोहरण लेकर वस्त्र धारण किया और बाल लोच कराए। संस्कारधानी में पहली बार एक साथ आठ लोगों ने दीक्षा ग्रहण की और इस दीक्षा समारोह के साक्षी बने समाज के हजारों लोग।

इसके अलावा इस समारोह सीधा प्रसारण भी टीवी पर हुआ जिससे कि लाखों लोगों द्वारा इस आयोजन को अपने घर पर ही टीवी में देखा गया।

आचार्य जिन पीयूष सागर जी ने दीक्षा महोत्सव आरंभ करते हुए सर्वप्रथम भूपेंद्र डाकलिया को रजोहरण प्रदान किया। इसके बाद सौरभ उर्फ सोनू फुगड़ी (बालोद) को रजोहरण प्रदान किया गया। इसके बाद देवेंद्र डाकलिया, हर्षित डाकलिया, सपना डाकलिया, महिमा डाकलिया, सुशीला देवी लुनिया एवं संगीता देवी गोलछा (कोंडागांव) को आचार्य ने रजोहरण दिया। मुमुक्षुओं के परिवार के लोगों ने मुमुक्षुओं का तिलक किया।

इस दौरान मुनि सम्यक रतन सागर ने मुमुक्षुओं का परिचय दिया और फिर विधि विधान से पूजा अर्चना के पश्चात मुमुक्षुओं को वस्त्र पहनने के लिए भेजा गया। मुमुक्षुओं ने वस्त्र धारण किए और बाल लोच भी किए गए। इसके बाद मुमुक्षु मंच पर पहुंचे और उनके नए नामों की घोषणा की गई।

Posted By: Nai Dunia News Network

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