राजनांदगांव। छंद के छ के स्थापना दिवस पर जिला आदिवासी गोंड भवन राजनांदगांव में राज्य स्तरीय पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह और राज्य स्तरीय छंदमय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्यअतिथि इंदिराकला संगीत विवि खैरागढ़ के प्रोफेसर डा.राजन यादव थे। अध्यक्षता केंद्रीय गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय महासचिव नीलकंठ गढ़े ने की। विशेषअतिथि बिलासपुर के व्याकरणविद सेवानिवृत प्रोफेसर डा.विनोद कुमार वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक वीरेंद्र बहादुर सिंह और साहित्यकार कुबेर सिंह साहू थे।अतिथियों छत्तीसगढ़ भाषा महतारी और मां सरस्वती के तैल चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मुख्यअतिथि डा.राजन यादव ने समारोह में शामिल सभी छंद साधकों को छंदबद्ध कविताओं की विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने अनेक प्रासंगिक पंक्तियों के माध्यम से हिंदी और छत्तीसगढ़ी कविता में छंदों व लोक छन्दों के प्रयोग की सविस्तार जानकारी दी। कार्यक्रम के अध्यक्ष नीलकंठ गढ़े ने छंद के छ परिवार द्वारा संस्कारधानी राजनांदगांव में आयोजित इस महत्वपूर्ण और वृहद प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम की सराहना की।
छत्तीसगढ़ी में लिंग का निर्धारण नहीं: कार्यक्रम के विशेषअतिथि डा.विनोद कुमार वर्मा ने कहा कि हिंदी में जहां लिंग का विधान है। वहीं छत्तीसगढ़ी में कोई लिंग का निर्धारण नहीं है।उन्होंने छंद साधकों से आग्रह किया कि वे अपनी रचनाओं में व्याकरण की तरफ भी विशेष ध्यान दें।
विशेषअतिथि वीरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि छंद के साधक परिवार ने केवल छह वर्ष की अल्प अवधि में छत्तीसगढ़ी भाषा की अनेक किताबों की रचना कर छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक साथ आठ पुस्तकों का विमोचन बहुत बड़ी उपलब्धि है।उन्होंने कहा कि छंद साधकों ने अपनी रचनाओं में जहां मात्राओं के अनुशासन का पालन किया है। वहीं कार्यक्रम में भी स्वस्फूर्त अनुशासित रहकर कार्यक्रम को गरिमामयऊंचाई प्रदान की है। कार्यक्रम के विशेष अतिथि साहित्यकार कुबेर सिंह साहू ने छंद साधकों का मार्गदर्शन किया। छंद के छ के प्रमुख अरुण कुमार निगम ने कार्यक्रम में आए सभी छंद साधकों का आभार माना। उन्होंने कहा कहा कि पिछले छह साल से यह आयोजन सदस्यों के आपसी सहयोग से बिना किसी शासकीय अनुदान के संपन्ना है। उन्होंने कहा की छंद साधकों का परिवार अपने उद्देश्य में सफल रहा है।
आठ किताबों का हुआ विमोचनः कार्यक्रम के प्रथम सत्र में छंद साधकों की आइ किताबों का बारी-बारी से विमोचन किया गया। जिन पुस्तकों का विमोचन हुआ उनमें कवियत्री आशा देशमुख की छंद चदैनी, कन्हैया साहू अमित की फुरफुंदी और जयकारी जनउला, राम कुमार चंद्रवंशी की छंद बगीचा, धनेश्वरी सोनी गुल की बरवय छंद कोठी और गुल की कुंडलियां,
चोवाराम बादल की बहुरिया और कवियत्री शोभामोहन श्रीवास्तव की तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे शामिल है। विमोचित किताबों पर विद्वान संघ छंद साधक ने आधार वक्तय का वाचन किया तथा किताब के रचनाकारों ने भी अपनी बात रखी।
Posted By: Nai Dunia News Network
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