राजनांदगांव । कम कीमत पर गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोठानों में तैयार किए जा रहे वर्मी कंपोस्ट खाद अपने विभिन्ना गुणों के कारण कृषकों के बीच लोकप्रिय होते जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि विज्ञानी डा. बीरबल राजपूत ने किसानों से कहा कि आने वाले खरीफ सीजन में जैविक खाद का उपयोग करें।
सामने खरीफ मौसम है। ऐसे में किसानों को लाभकारी खेती से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। कृषि विज्ञानी ने अपने सामयिक सलाह में कहा कि किसान रासायनिक खाद को महत्व देते हैं जिसका दुष्परिणाम हम देख रहे हैं भूमि खराब हो रही है और भूमि में कड़ी परत जम जाती है। जिससे खेती-किसानी की लागत बढ़ रही है। वहीं रासायनिक खाद के कीमतों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करते हुए जैविक खेती या प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए।
अच्छी गुणवत्ता का फसल उत्पादनः कृषि विज्ञानी के अनुसार जैविक खेती सस्टेनेबल खेती है। जिससे खेती की लागत को कम किया जा सकता है। वहीं फसलों में कीट का भी प्रकोप कम होता है तथा अच्छी गुणवत्ता का फसल उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लिए सूक्ष्म जीव जरूरी होते हैं जो रासायनिक खाद के उपयोग से नष्ट हो रहे हैं। आने वाले समय में जैविक खेती को बढ़ावा देना है। वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने से पर्यावरण का संरक्षण भी होता है। वहीं कम पानी एवं कम दवाईयों में खेती की जा सकती है।
सूक्ष्म जीवों की गतिविधियां बढ़ जाती हैः कृषि विभाग के सहायक संचालक टीकम ठाकुर ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट कई सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है। वर्मी कंपोस्ट पर्याप्त मात्रा में भूमि में मिलाने से सूक्ष्म जीवों की गतिविधियां बढ़ जाती है। नाईट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस घोलक जीवाणु की संख्या में वृद्धि होती है। जो भूमि में पहले से पड़े अनऐवलेबल फॉर्म ऑफ न्यूट्रेंट्स को पौधों को उपलब्ध कराने में विशेष रूप से सहयोगी होते हैं।
कृषक न केवल वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग में रूचि दिखा रहे हैं बल्कि उनके महत्वों से अन्य कृषकों को भी अवगत कराना अपनी जवाबदारी समझ रहे हैं। मानपुर विकासखंड के र्ग्राम डोंगरगांव के किसान घसिया राम का कहना है कि उनके द्वारा गत वर्ष खरीफ और रबी में वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग खेत की तैयारी करते समय किया गया था। जिसके कारण न केवल उनके धान और चना फसल में अंकुरण अच्छा हुआ बल्कि अंकुरण से लेकर शाखा बनने तक कीट बीमारियों का प्रकोप जो पहले होता था, उसकी मात्रा काफी हद तक नियंत्रित हुई। साथ ही वर्मी कंपोस्ट डालने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढे लगी।
Posted By: Nai Dunia News Network
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