मल्टीमीडिया डेस्क। मानसून के लिए अभी इंतज़ार बढ़ गया है। पहले ये अनुमान जताए गए थे कि 4 जून तक मानसून केरल में दस्तक देगा लेकिन अब मानसून थोड़ा दूर छिटक गया है। अब ताजा अनुमान बताते हैं कि मानसून 7 जून तक केरल में आ सकता है।
वेदर फोरकास्ट एजेंसी स्कायमेट के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए इंतजार बढ़ गया है। मानसून की सुस्त चाल को देखते हुए उम्मीद है कि देश को कुछ और दिनों तक इंतजार करना होगा। मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष जी पी शर्मा ने बताया कि परिस्थितियों को उसी के अनुकूल बनने में कुछ और दिन लगेंगे।
इस साल मानसून ने 20 मई की अपनी सामान्य शुरुआत की तुलना में 18 मई को उपस्थिति दर्ज की थी। आमतौर पर 25 मई तक मॉनसून (एनएलएम) की उत्तरी सीमा पोर्ट ब्लेयर के साथ-साथ श्रीलंका को भी कवर करती है।
IMD states that the onset of #Monsoon2019 in #Kerala is likely on June 7. https://t.co/JoHAXTxK1k
— SkymetWeather (@SkymetWeather) 4 June 2019
पिछले 65 साल में दूसरी बार प्री-मानसून कमजोर पड़ा
'स्काईमेट वेदर' के मुताबिक पिछले 65 साल में देश में दूसरी बार इस साल मानसून पूर्व बारिश सबसे कम हुई है। मानसून पूर्व बारिश के तीन महीनों मार्च, अप्रैल और मई में बारिश 25 फीसद कम रही है।
स्काईमेट के अनुसार, मौसम विभाग की सभी चार डिवीजनों उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्व-पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में क्रमशः 30, 18, 14 और 47 फीसद कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
उसका कहना है कि इस साल देश के दक्षिण और मध्य राज्यों में मानसून विलंब से आने और उसके कमजोर रहने की संभावना है। स्काईमेट के मुताबिक, केरल में एक जून को दस्तक देने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के 3-4 दिन देर से आने की संभावना थी, लेकिन अब इसके सात जून तक आने की संभावना है।
मानसून के औसत रहने के संभावना
भारत में इस साल मानसून के औसत रहने के संभावना जताई गई हैं। हालांकि इससे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास दर पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि मानसूनी वर्षा का लंबी अवधि का औसत (एलपीए) 96 फीसद रहने की उम्मीद है। सरकारी मौसम विभाग का कहना है कि मानसून सामान्य या औसत रहेगा जोकि 96 फीसद और 104 फीसद है।
बारिश का हो सकता है फेरबदल
जून से सितंबर की अवधि में दीर्घावधि औसत 887 मिलीमीटर वर्षा में पांच फीसद कम-ज्यादा का आंशिक फेरबदल हो सकता है। हांलाकि कई स्थानों पर बारिश का असमान वितरण होता है। लगभग प्रतिवर्ष असम, बिहार, आदि क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति निर्मित हो जाती है। ऐसे में बाढ़ को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग की सक्रियता बढ़ने की उम्मीद है।
Posted By: Navodit Saktawat
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