
एजेंसी, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान भाजपा के कई बड़े चेहरे प्रचार के मैदान से नदारद रहे। चुनाव आयोग को सौंपी गई सूची में भाजपा ने 40 स्टार प्रचारकों के नाम शामिल किए थे, लेकिन इनमें से आठ नेताओं को पार्टी या एनडीए के किसी भी प्रत्याशी ने प्रचार के लिए नहीं बुलाया। ये स्टार प्रचारक अपने ही घरों में टिमटिमाते रह गए।
इनमें भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूढ़ी, राधा मोहन सिंह, रेणु देवी और प्रेम कुमार जैसे दिग्गज चेहरे शामिल हैं।
कई नेता अपने विधानसभा क्षेत्रों से बाहर प्रचार के लिए नहीं निकल पाए, क्योंकि वह खुद मुकाबले में फंसे हुए थे। जबकि कुछ को एनडीए प्रत्याशियों ने बुलाना ही मुनासिब नहीं समझा।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस बार भाजपा ने प्रचार की रणनीति स्थानीय समीकरणों पर केंद्रित रखी। प्रत्याशी उन्हीं नेताओं को बुला रहे हैं, जिनकी लोकप्रियता या जातीय प्रभाव उनके क्षेत्रों में मजबूत है। इससे बड़े चेहरों की अपील सीमित रह गई।
कुछ प्रचारक खुद भी व्यस्त रहे या गुटबाजी की आशंका के चलते प्रत्याशियों ने उन्हें दूर रखा। कई सीटों पर ऐसे नेताओं को बुलाने से परहेज किया गया, जिनकी छवि किसी खास गुट से जुड़ी मानी जाती है। इससे टकराव से बचने और एकता का संदेश देने की कोशिश की गई।
भाजपा की प्रचार रणनीति में स्थानीय कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने से खर्च तो कम हुआ, लेकिन कई वरिष्ठ नेताओं की राजनीतिक मौजूदगी कमजोर दिखी। करीब 40 में से सिर्फ 15 से 20 स्टार प्रचारकों ने एक या दो से ज्यादा जनसभाएं कीं।