अभय नेमा। कव्वाल शकीला बानो भोपाली पर भोपाल के ही स्क्रिप्ट राइटर और डायरेक्टर रूमी जाफरी फिल्म बनाने जा रहे हैं। यह फिल्म भोपाल के ही लेखक रफी शब्बीर की किताब 'बानो का बाबू ' पर आधारित है। इस महीने ही रूमी जाफरी की फिल्म चेहरे भी रिलीज होना थी लेकिन लॉकडाउन के चलते इसकी रिलीज टाल दी गई है। रूमी जाफरी ने बताया कि फिल्म में शकीला बानो की शख्सियत और उनकी कव्वालियों को कलात्मक स्वरूप में पेश किया जाएगा। जाफरी ने बताया कि वे खुद भोपाल के रहने वाले हैं इस लिहाज से उनकी कोशिश है कि शकीला बानो के किरदार की गरिमा और उनकी कव्वालियों की खूबसूरती फिल्म में उतारी जाए। फिलहाल अमिताभ बच्चन व इमरान हाशमी अभिनीत फिल्म चेहरे के प्रदर्शन के बाद इस फिल्म पर काम शुरू हो जाएगा। फिल्म का निर्माण प्रोड्यूसर बोनी कपूर करेंगे। 'बानो का बाबू' में शकीला बानो की कहानी को उनके शौहर नौशे उर्फ बाबू खान की जुबानी बयां किया गया है। किताब के लेखक रफी शब्बीर ने बताया कि इस किताब को लिखने के लिए कड़ी रिसर्च की गई। नौशे खान से बकायदा इसके लिए एग्रीमेंट भी किया गया। इस किताब को फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह ही लिखा गया है।चूंकि फिल्म बनने में अभी देर है तो इसे किताब की शक्ल दे दी गई। किताब 'बानो का बाबू' के बारे में लेखक एवं स्तंभकार रशीद किदवई कहते हैं कि 'बानो का बाबू' एक ऐसी सच्ची कहानी है जो अंधेरे में खो गई थी। यह शकीला बानो भोपाली की जिंदगी की कहानी नहीं बल्कि ऐसी औरत की कहानी है जिसने गुमनामी से शोहरत की दुनिया पाई थी।
उल्लेखनीय है कि शकीला बानो का जन्म 1942 में हुआ बचपन में ही उन्होंने भोपाल में कव्वाली गाना शुरू कर दिया दिलीप कुमार के आग्रह पर बॉलीवुड पहुंचने के बाद 50 और 60 के दशक में उनकी फिल्मों और कव्वालियों ने खूब धूम मचाई। अभिनय के साथ उन्होंने दुनिया भर में कव्वालियों के प्रोग्राम भी किए और शायरी भी लिखी। शकीला बानो ने तकरीबन 45 फिल्मों में काम किया। 1984 में भोपाल गैस कांड के वक्त भी वे शहर में ही मौजूद थीं। गैस के दुष्प्रभाव से उनकी आवाज चली गई। 2002 में मुंबई में उनका निधन हो गया।
Posted By: Navodit Saktawat
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