शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। कोरोना महामारी के चलते स्कूल-कॉलेज भले नहीं खुल पा रहे हैं लेकिन निजी स्कूल के शुल्क का मामला सरकारों को जरूर परेशान कर रहा है। निजी स्कूल संचालक 25 फीसदी माफी देने को अब तैयार नजर आ रहे हैं लेकिन अब अभिभावक शिक्षण शुल्क में 50 फीसदी तक की छूट की मांग करने लगे हैं। सरकार निजी स्कूल मालिकों व अभिभावकों के बीस पीसती नजर आ रही है। गुजरात में निजी स्कूल संचालक पहले अभिभावकों को 25 प्रतिशत शिक्षण शुल्क माफी को भी तैयार नहीं थे लेकिन गुजरात उच्च नयायालय की ओर से शिक्षण शुल्क तक करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर छोडने के बाद अब वे इसके लिए तैयार हैं लेकिन अब अभिभावक 50 फीसदी शुल्क माफी की मांग करने लगे हैं। शिक्षामंत्री भूपेंद्रसिंह चूडास्मा बीते माह निजीस्कूल संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें शिक्षण शुल्क में 25 प्रतिशत की कटौती करने के निर्देश दे चुके हैं लेकिन निजी स्कूल संचालक मंडल के अध्यक्ष अजय पटेल इस बात पर कायम थे स्कूल संचालक अभिभावकों को सौ फीसदी शुल्क माफी देने को तैयार हैं लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति को देखकर।
राज्य सरकार चाहती है कि सभी अभिभावकों को 25 फीसदी शुल्क माफी देने से यह मामला आसानी से हल हो सकेगा लेकिन अभिभावकों व स्कूल संचालकों के अड जाने से सरकार की सैंडविच जैसी हालत हो गई है। गुजरात अभिभावक संघ का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा 5 के बजाए महज 2 घंटे ही कराई जा रही है तथा अभिभावकों को इंटरनेट व ऑनलाइन शिक्षण के लिए साधनों पर भी खर्च करना पडा है। स्कूलों का प्रशासनिक व रोजमर्रा का खर्च घट गया है जिसका लाभ अभिभावकों को दिया जाना चाहिए।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी का मानना है कि सरकार जानबूझकर शुल्क माफी के मुद्दे को उलझा रही है। सरकार निजी स्कूल संचालकों की तरफदारी कररही है। जब स्कूल खुलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, स्कूल में शिक्षक, बिजली,प्रबंधन व परिवहन व अन्य गतिविधियों का कोई खर्च ही नहीं हो रहा तो फीस किस बात की मांग रहे हैं।
ऑल गुजरात अभिभावक मंडल के नरेश शाह तथा अभिभावक स्वराज मंच के अमित पंचाल ने ही शिक्षण शुल्क को लेकर उच्च न्यायालय में अभिभावकों की ओर से पक्ष रखा था। पंचाल बताते हैं कि अभिभावक संघों ने सरकार के समक्ष 50 प्रतिशत शिक्षण शुल्क माफी की मांग रखी है, सरकार ने अभी इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया है। सरकार पहले 25 फीसदी शुल्क कटौती का प्रस्ताव रख चुकी है इसलिए भी असमंजस में है।
फीस वसूली को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल, छत्तीसगढ़ सरकार ने जारी किए यह आदेश
लॉकडाउन के दौरान शैक्षणिक शुल्क के नाम पर छात्रों से फीस वसूलने और Fees नहीं दे पाने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर करने वाले स्कूलों की मनमानी पर अब राज्य सरकार सख्ती के साथ नकेल कसने जा रही है। हाई कोर्ट के इस संबंध में निर्देश के बाद राज्य सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों के लिए एक आदेश जारी किया है जिसमें सभी जिलों से सभी स्कूलों द्वारा इस अवधि के दौरान वसूली गई फीस का पूरा ब्योरा मांगा गया है।
लॉकडाउन में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी तौर पर छात्रों के पालकों से फीस वसूली जा रही है। नियमित कक्षाएं न लगने के बावजूद सभी तरह के शुल्क लिए जा रहे हैं। इसे देखते हुए पालक संघ लगातार विरोध कर रहा है। पालक संघ की ओर से कोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे, जिसके परिपालन में राज्य सरकार की ओर से फीस की पूरी जानकारी देने के लिए सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है।
आदेश में 31 जुलाई 2020 को कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का पालन करने के लिए कहा गया था। साल 2019-20 में किन-किन विद्यार्थियों से फीस ली गई, विद्यार्थियों से किन-किन मदों में फीस की वसूली की गई और फीस जमा नहीं होने पर किन-किन विद्यार्थियों को पढ़ाई से वंचित किया गया या टीसी दी गई, इस संबंध में जिला अधिकारियों से पूरी जानकारी मांगी गई है।
Posted By: Navodit Saktawat
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