Chhattisgarh High Court News: संविदाकर्मियों को पिछली सेवा के अनुभव का लाभ देने का आदेश
याचिकाकर्ता जल संसाधन विभाग के समक्ष पेश करेंगे अभ्यावेदन, हाई कोर्ट ने याचिका को किया निराकृत
Updated: | Fri, 27 May 2022 08:58 PM (IST)बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में जल संसाधन विभाग के संविदाकर्मियों के अनुभव पर बोनस अंक प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है। पंचायत तथा ग्रामीण विभाग में संविदात्मक पदों पर बिलासपुर, बेमेतरा, रायगढ़, रायपुर, जांजगीर-चांपा आदि जिले में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत प्रशांत सिंह कुर्रे, नरेंद्र कुमार तोंद्रे, ललित कुमार सूर्यवंशी ने वकील मतीन सिद्दिकी के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि 14 मार्च 2022 को जल संसाधन विभाग द्वारा उप अभियंता के स्वीकृत पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ। इसमें पूर्व कार्य अनुभव का जिक्र नहीं है। उप अभियंता के पदों पर कार्य कर चुके अभ्यर्थियों के लिए या उनके पिछले कार्य अनुभवों के लिए बोनस अंकों की व्यवस्था नहीं है। यह पिछले 7-8 वर्षों से सेवा कर रहे उप अभियंताओं या उनके समकक्ष तकनीकी सहायकों के मूलभूत अधिकारों का हनन है। मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दिकी ने शासन द्वारा निर्धारित प्रविधानों का जिक्र करते हुए कहा कि विकास आयुक्त कार्यालय के ग्रामीण शिक्षा सेवा के मुख्य अभियंता द्वारा एक जनवरी 2014 को उप-अभियंता (सिविल) के पदों पर सीधी भर्ती के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया।
इस विज्ञापन में चयन की प्रक्रिया पिछले कार्यानुभव के आधार पर निर्धारित की गई थी। विज्ञापन के एक खंड में अभ्यर्थियों का चयन शैैक्षणिक योग्यताओं, अनुभव और साक्षात्कार के माध्यम से किया जाना निर्धारित किया गया। विज्ञापन में यह भी कहा गया था कि पिछले कार्यानुभव तत्संबंध में संबंधित होने पर ऐसे अभ्यर्थियों को यह लाभ मिल सकेगा। अधिवक्ता ने मप्र शासन के निर्देशों की जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अगस्त 2018 में प्रकाशित परिपत्र में संविदा कर्मियों या अधिकारियों को नियमित पदों पर नियुक्ति पाने का मौका प्रदान करने की निर्देशात्मक नीति जारी की गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कोशी ने जल संसाधन विभाग के सचिव को याचिकाकर्ताओं के पिछले कार्य अनुभव को ध्यान में रखते हुए बोनस अंक देने निर्णय लेने की बात कही। याचिकाकर्ताओं को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन देने और अभ्यावेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया।