
नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। लोकसभा चुनाव के बाद अब नगरीय निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक सरमर्गी बढ़ने लगी है। राज्य की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने के बाद अब यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के वार्डों का भाजपा नए सिरे से सीमांकन कराएगी। इसे लेकर कांग्रेस की सक्रियता भी बढ़ने लगी है।
गुरुवार को जिला व शहर कांग्रेस कमेटी के बैनर तले दोपहर दो बजे से कांग्रेस भवन में बैठक का आयोजन किया गया है। इसके लिए एकमात्र एजेंडा बिलासपुर निगम के वार्डों का परिसीमन है।
पांच महीने बाद प्रदेश में निकाय चुनाव होना है। नगरीय प्रशासन विभाग ने वार्डों के परिसीमन को लेकर पत्र जारी कर दिया है। राज्य शासन के पत्र के बाद अब प्रदेशभर में निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट के साथ ही परिसीमन को लेकर चर्चा का दौर प्रारंभ हो गया है।
राज्य की सत्ता पर भाजपा काबिज है, जाहिर है राजनीतिक लाभ और प्रतिबद्ध मतदाताओं की संख्या के आधार पर वार्ड का परिसीमन कराने की रणनीति पर प्रमुख भाजपा नेता काम करना प्रारंभ कर दिया है। बीते निगम चुनाव में जिन वार्डों में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा था और जहां नजदीकी मामला बना था, उन वार्डों पर विशेषतौर पर निगाह रहेगी। जातिगत समीकरण के अलावा वार्ड में प्रतिबद्ध मतदाताओं की संख्या और बनने वाले माहौल को परखने का काम भी हो रहा है।
लोकसभा चु्नाव में जिन वार्डों में सत्ताधारी दल को बढ़त मिली और जहां वोटों का अंतर कम रह गया, ऐसे वार्ड में निश्चिततौर पर परिसीमन की राजनीति चलेगी। सत्ताधारी दल की बनने वाली रणनीति और परिसीमन को लेकर चलने वाले राजनीतिक अभियान पर नजर रखने और परिसीमन के दौरान कांग्रेस को राजनीतिक रूप से ज्यादा नुकसान झेलना ना पड़े इसे लेकर रणनीति बनाने गुरुवार को कांग्रेस भवन में कांग्रेसियों की बैठक रखी गई है।
कांग्रेसजनों के बीच एक चर्चा यह भी हो रही है कि सत्ताधारी दल राजनीतिक नफा-नुकसान को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर नगर निगम के सभी 70 वार्डो का नए सिरे से परिसीमन कराना चाह रही है। गुरुवार को कांग्रेस भवन में होने वाली बैठक में महापौर, सभापति, पार्षद व प्रत्याशी, ब्लाक अध्यक्ष, सांसद प्रत्याशी, विधायक, पूर्व विधायक व प्रत्याशी की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है।
बदलेगा राजनीतिक समीकरण
बिलासपुर नगर निगम के 70 वार्डों का नए सिरे से परिसीमन की स्थिति में हर एक वार्ड का राजनीतिक समीकरण बदला नजर आएगा। वर्तमान पार्षद के अलावा पार्षद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को भी नए सिरे से संभावनाएं तलाशनी होगी। साथ ही राजनीतिक समीकरण भी उसी अंदाज में बैठाना होगा।