Anti Naxalite Operation : जियाकोरता के जंगल में मिला तीन किलो का बम, मौके पर किया डिफ्यूज
Updated: | Sat, 07 Nov 2020 10:44 PM (IST)दंतेवाड़ा। Anti Naxalite Operation : शनिवार की सुबह कटेकल्याण ब्लाक के ग्राम जियाकोरता डोंगरीपारा जंगल में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व फोर्स (डीआरजी) के जवानों ने एक आइइडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरामद किया। तीन किलो वजनी इस आइइडी को जवानों ने मौके पर ही डिफ्यूज भी कर दिया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार डीआरजी के जवान सुबह नियमित गश्त पर निकले थे। तभी जियाकोरता के डोंगरीपारा जंगल में कुछ संदिग्ध वस्तुए नजर आई। सतर्क जवानों आसपास सघनता से तलाशी की तो मेटल डिटेक्टर में आगे विस्फोट होने के संकेत मिले। इसके साथ साथ चल रहे एंटी बम स्क्वायड के जवानों ने बम को खोजा और सुरक्षित बाहर निकाला। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों के देते बम को मौके पर ही डिफ्यूज कर दिया गया।
घटना की पुष्टि करते एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि कटेकल्याण के टेटम में शुक्रवार को ही पुलिस कैंप की स्थापना की गई हैं। इलाके में जवानों की मौजूदगी से नक्सली बौखला गए हैं। वे फोर्स को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने उनके रास्ते में बम लगाया था। लेकिन सतर्क जवानों ने अनहोनी से पहले ही बम को खोज निकाला। ज्ञात हो कि एक दिन पहले अरनपुर थाना क्षेत्र के कोंडापारा इलाके में सीआरपीएफ के जवानों ने तीन और पांच किलोग्राम वजनी दो बम बरामद किया था। जिसे भी नक्सलियों ने जवानों के रास्ते पर इंप्लांट कर रखा था।
मुठभेड़ की बजाए बम से ज्यादा नुकसान
नक्सली मुठभेड़ में फोर्स को नुकसान पहुंचाने से ज्यादा बम के जरिए नुकसान पहुंचाना ज्यादा सही मानते हैं। मुठभेड़ के दौरान जवानों की गोलियों से नक्सली मारे और घायल भी होते हैं। जबकि रास्ते में विस्फोट इंप्लांट कर जवानों को नुकसान पहुंचाना आसानी होता है। पर सतर्क जवान, नक्सलियों के बम खोज निकाल रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि नक्सली प्रेशर बम और विस्फोटक लगाकर दूर से टारगेट करते हैं अथवा जवान खुद प्रेशर बम की चपेट में आता जाता है। इससे नक्सलियों को कोई नुकसान भी नहीं होता। जबकि मुठभेड़ में आमने सामने की सीधी लड़ाई में नक्सलियों को भी नुकसान उठाना पड़ता है।
Posted By: Shashank.bajpai