चुनाव से पहले शिवराज सरकार ग्वालियर-चंबल संभाग में जातिगत हिंसा के मामले लेगी वापस
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आशय की घोषणा की है।
Updated: | Fri, 27 May 2022 08:41 PM (IST)भोपाल (राज्य ब्यूरो)। पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव से पहले राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में ग्वालियर व चंबल संभाग में हुई जातिगत हिंसा के प्रकरण वापस लेने का फैसला किया है। दोनों संभागों में अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के विरुद्ध प्रकरण दर्ज हुए थे। कमल नाथ सरकार में इन्हें वापस लेने का निर्णय हुआ था लेकिन कम ही प्रकरण वापस हुए। यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को भोपाल के सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय में आयोजित मूंग वितरण कार्यक्रम के बाद की। उन्होंने बताया कि दोनों वर्ग के प्रतिनिधिमंडल ने समझौता कराने के लिए कहा है। दोनों समाज की पहल पर व्यापक विचार के बाद सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया है।
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दो अप्रैल 2018 को अनुसूचित जाति समाज ने भारत बंद का आह्वान किया था। इस दौरान भिंड, मुरैना और ग्वालियर जिलों में हिंसा हुई थी। जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए थे और पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने सिर्फ सात सीटों पर ही जीत दर्ज कराई थी, जबकि कांग्रेस ने 26 सीटें हासिल की थीं।
इसके पीछे मुख्य कारण सरकार के प्रति नाराजगी को माना गया था। यही वजह है कि कांग्रेस के सरकार में आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया था लेकिन इस पर पूरी तरह अमल नहीं हो पाया। उधर, गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 54 प्रकरण पहले वापस हो चुके हैं। 25 मामले 26 मई को वापस लिए गए। 40 प्रकरण में खात्मा लगाने की तैयारी है और 30 अभी विवेचना में हैं।
पांच दिन पहले दोनों पक्षों से मिले थे मुख्यमंत्री
ग्वालियर प्रवास के दौरान पांच दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों पक्षों (अनुसूचित जाति व सामान्य) के प्रतिनिधियों से मिले थे। दोनों पक्षों के साथ अलग-अलग बैठक की और साथ मिलकर चलने का संदेश भी दिया था।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay