न जूते थे न हाकी स्टिक, अभावों के गोलपोस्ट पर भोपाल की खुशबू की हिट, जूनियर राष्ट्रीय टीम में हुआ चयन
झोपड़ी में रहकर छुआ आसमान, झुग्गी में रहकर सीखा हुनर, आटो चलाने वाले पिता ने बढ़ाया हौसला, मिली अंडर 23 महिला हाकी टीम में जगह।
Updated: | Fri, 27 May 2022 08:22 PM (IST)ललित नारायण कटारिया, भोपाल। झुग्गी बस्ती में सिर्फ एक कमरे का छोटा सा घर, लेकिन हौंसला इतना बड़ा कि सात समंदर पार भारत का नाम रोशन कर दिया। भोपाल के जहांगीराबाद की रहने वाली 20 साल की खुशबू ने हाकी में पूरे देश का मान बढ़ाया है। उन्हें आगामी 19 से 26 जून तक आयरलैंड के डबलिन में होने वाले पांच देशों के अंडर-23 टूर्नामेंट के लिए भारत की 20 सदस्यीय टीम में शामिल किया है। खुशबू खेल में प्रतिद्वंद्वियों से लड़ी तो गरीबी के चलते हालातों से भीं, लेकिन हौंसले ने दोनों जगह सफलता दिलाई। उनके पास पहनने के लिए न जूते थे और न ही खेलने के लिए हाकी स्टिक। इसके बाद भी उन्होंने पुरुषों के वर्चस्व वाले हाकी में अपना करियर बनाया।
ओलिंपिक में देश के लिए जीतना चाहती हैं स्वर्ण पदक
वह अभी बेंगलुरु में आयोजित जूनियर भारतीय टीम के कैंप में अभ्यास कर रही हैं। खुशबू ने 'नवदुनिया" से बातचीत में कहा कि इस टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर राष्ट्रीय सीनियर टीम में अपना स्थान पक्का करना चाहती हैं। उनका सपना ओलिंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।
माता-पिता ने बढ़ाया हौसला
भोपाल के जहांगीराबाद स्थित पशु चिकित्सालय के पास सटी झुग्गी में रहने वाले शब्बीर खान अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके पांच बच्चों (तीन बेटी और दो बेटे ) में खुशबू सबसे छोटी हैं। शब्बीर आटो चालक हैं। साथ में प्लंबरिंग भी कर लेते हंै। मां मुमताज खान गृहणी हैं। मां कहना है कि खुशबू ने घर के हालात देखकर खेलों में करियर बनाने का निर्णय लिया था। इसकी शुरुआत लाल परेड में आयोजित समर कैंप से हुई थी। यहीं पर कोच अंजुम खान ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और आगे खेलने के लिए प्रेरित किया।
हाकी खेलने का ऐसा जुनून की रोज 12 किमी पैदल चलती थीं
खुशबू की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके पास मैदान जाने के लिए साइकिल तक नहीं थी, लेकिन अपना खेल जारी रखा। वह खेलने के लिए ऐशबाग स्टेडियम, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पैदल जाती थीं और मां की तबीयत खराब होने के कारण घर के काम में मां का हाथ भी बंटाती थीं। प्रतिदिन लगभग 12 किमी पैदल चलना पड़ता था। ओलिंपियन अशोक कुमार ने खुशबू को लड़कों के साथ हाकी की प्रैक्टिस कराई । अशोक कुमार ने उन्हें तराशना शुरू किया। खेल में उन्हें गोलकीपर का दायित्व सौंपा। अशोक कुमार ने कहा कि खुशबू बहुत ही मेहनती है, उसने अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। वह जल्दी ही भारत की सीनियर टीम का हिस्सा होंगी।
माता-पिता की चाहत, खुशबू को मिले मकान
खुशबू के पिता शब्बीर खान ने बताया कि सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। हमारी झुग्गी कभी भी तोड़ी जा सकती है। कई बार चेतावनी मिल चुकी है। दो साल पहले भी यह स्थिति आई थी। हमारी झुग्गी बहुत ही छोटी है। उसमें हमारा परिवार पिछले 20 सालों से रह रहा है। देश के लिए खेलकर प्रदेश का नाम रोशन कर रही है। उसे भी रहने के लिए घर मिलना चाहिए।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay