ग्वालियरः प्रेम, त्याग आैर सामाजिक जिम्मेदारियाें का मिश्रण कामायनी आैर अषाढ़ का एक दिन
Updated: | Sun, 29 Nov 2020 09:19 AM (IST)ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। आर्टिस्ट कंबाइन और कला समूह का दो दिवसीय नाट्य महोत्सव शनिवार से शुरू हुआ। दोनों संस्थाओं की प्रथम प्रस्तुति आनलाइन/आफलाइन मोड पर हुई। आर्टिस्ट कंबाइन ने शाम ढलते ही यूट्यूब चैनल पर 'अषाढ़ का एक दिन की प्रस्तुति दी। वहीं कला समूह झांसी रोड स्थित परिसर में 'कामायनी का आफलाइन मोड पर मंचन हुआ। दोनों ही नाटकाें में प्रेम, त्याग और सामाजिक जिम्मेदारियों का मिश्रण रखा गया। जिन्हें देखने वाले दर्शक अभिभूत हो गए। आर्टिस्ट कंबाइन की प्रस्तुति काल्पनिक है, लेकिन इसमें लेखक ने प्रेम, समर्पण और जिम्मेदारी को शामिल किया। यह नाटक कालिदास की प्रसिद्धि को पाने से पहले का है। कालिदास हिमालय की तराई में रहने वाले युवा कवि हैं, जो मल्लिका से प्रेम करते हैं। कालिदास की रचना से प्रभावित होकर सम्राट उन्हें उज्जयनी बुलाते हैं। प्रेम और महत्वाकांक्षा के द्वंद्व में फंसे कालिदास वहां जाना नहीं चाहते, किंतु मल्लिका उन्हें महान होते हुए देखना चाहती है। इसलिए वह कालिदास को उज्जयनि जाने के लिए प्रेरित करती है।
फिर भी मल्लिका को रहता है कालिदास का इंतजारः राजधानी जाकर कालिदास वही रम जाते हैं और एक राजकन्या से विवाह कर लेते हैं। वहीं मल्लिका अविवाहित रहकर एकाकी जीवन बिताती है। कालिदास अपनी पत्नी के साथ एक बार पुन: ग्राम में आते भी हैं, मगर चाहकर भी मल्लिका का सामना नहीं कर पाते हैं। हालांकि मल्लिका राजमहिषी के अनेक प्रलोभन भरे प्रस्तावों को ठुकराकर कालिदास की प्रतीक्षा करती है। कई वर्षों बाद कालिदास लौटते हैं। इसके बाद नाटक की कहानी काफी रोचक हो जाती है। इस नाटक को राकेश मोहन ने लिखा है।
'कामायनी में समाई मनु की कहानीः कला समूह ने पहली शाम 'कामायनी नाटक की प्रस्तुति दी। नाटक में दर्शकों ने प्रकृति का रौद्र रूप देखा, जो मानवीय हस्तक्षेप से परेशान हो जाती है आैर उसे भयंकर जल प्रलय से दंडित करती है। मनु को छोड़कर सबकुछ नष्ट हाे जाता है। वे नौका के सहारे हिमालय की चोटी पर पहुंचते हैं और अतीत के सुखों को याद करते हुए चिंतित होते हैं। थोड़ा समय बीतने पर उनकी मुलाकात गंधर्व कन्या श्रद्धा से होती है। दोनों साथ रहने लगते हैं। कुछ दिन बीतने के बाद असुर-पुरोहित किलात और आकुली के बहकावे में आकर मनु पशु की बलि देते हैं। इस हिंसा से श्रद्धा को कष्ट होता है, लेकिन मनु उन्हें समझाकर शांत करते हैं।
उपेक्षित महसूस होने पर छोड़ा श्रद्धा का साथः समय बीतने के बाद श्रद्धा गर्भवती हाेती है और उसे अपनी भावी संतान से अत्यधिक मोह हो जाता है। मनु खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं और श्रद्धा को छोड़कर चले जाते हैं। लक्ष्यहीन भटकते हुए वे सारस्वत प्रदेश पहुंचते हैं, जो पूरी तरह से उजड़ा हुआ है। यहां उनकी मुलाकात रानी इड़ा से होती है। मनु इड़ा के साथ मिलकर सारस्वत प्रदेश का पुननिर्माण करते हैं। उधर श्रद्धा पुत्र को जन्म देती है, जिसका नाम मानव रखा जाता है। कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं, जिनका प्रभाव श्रद्धा, मानव, मनु और इड़ा के जीवन पर पड़ता है। इस महाकाव्य को जयशंकर प्रसाद ने लिखा है। जबकि नाट्य प्रस्तुति में अमितेश, अमर, देवेंद्र कुशवाह, महेंद्र सिंह, सतीश, अक्षय, पवन कुमार, गोविंद, आकाश यादव, हमराज, संदीप, सुजाता, अंजलि, अनुजा, अनुषा, जिया और गुंजन ने अभिनय किया है।