ग्वालियर जेल में बंदियों को पेट की आग बुझाने वाली रोटियां ठिठुरनभरी ठंड से भी बचा रही हैं
कडाके की ठंड से बचने के लिए जेल के कैदी सूखी रोटी जलाकर ताप रहे हैं और अपने आप को ठंड से बचा रहे हैं।
- सूखी रोटियों को जलाकर हाथ ताप रहे हैं, इन्ही रोटियों को जलाकर दाल व सब्जी गरम करते हैं
ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। ठिठुरनभरी ठंड जेल में बंदियों के लिए सबसे कष्टदायक होती हैं। जेल में ठंड से बचने के लिए बंदी के पास अधिक गर्म कपड़े होते हैं, और नहीं कान ढकने के लिए मफलर व कोई कपड़ा होता है। सर्द दिनों में केवल धूप ही ठंड से बचने का सहारा होता है। पिछले दो दिन से अंचल में भगवान भास्कर के दर्शन भी नहीं हुए हैं। ठंड से बचने के लिए दबंग कैदी सूखियों को रोटियों को जलाकर न केवल हाथ ताप रहे हैं, और अपनी दाल व सब्जी गर्म करते हैं। हालांकि जेल प्रशासन बंदियों के रोटियां जलाकर ठंड से बचने की बात को सीधे स्वीकार नहीं किया है। इस बात को सीधे स्वीकार भी नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि बंदियों को ठंड से बचाने के लिए बैरकों को ढका गया है। जेल प्रशासन का दावा है कि बंदियों को ठंड से बचाने के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था की जा रही है।
जेल की कष्टदायक रातें
जेल की बैरकें बंदियों पर नजर रखने के लिए पुरानी व्यवस्था के अनुसार बैरकें बनीं हुई है।बंदियों को जमीन पर सोना पड़ता है। और सर्द रातों में सरियों में से सीधे हवा कंबल को ठंडा कर देती हैं और बर्फ के सामान फर्श को ठंडा कर देती हैं। बंदियों की रातें करवटें बदलकर कटती है। बंदी को सुबह का इंतजार होता है। ताकि धूप से थोड़ी रात मिल सकें। अंचल में पिछले दो दिन से धूप नहीं निकलने के कारण बंदियों की रात और दिन एक सामान हो गए हैं। सबसे अधिक परेशान वृद्ध बंदियों को हो रहे हैं। बर्फ के सामान ठंड़े फर्स पर लेटने के कारण पूरा शरीर अकड़ जाता है। ठंड के कारण नींद नहीं आती है।
दबंग रोटी जलाकर हाथ तपते हैं
बंदियों को सुबह-शाम रोटी व सब्जी दी जाती है। कुछ एक बंदियों को छोड़कर अधिकांश पूरी खुराक नहीं खा पाते हैं। सजायाफ्ता को छोड़कर नए बंदियों को जेल की रोटी व सब्जी कई दिन तक रास नहीं आती है। बैरक के दबंग बंदी बचाई हुई रोटियों को ले लेते हैं और धूप सूखकर जमा कर लेते हैं। इन रोटियों को जलाकर दाल-सब्जी गर्म कर लेते हैं। रोटियों को राख होकर समेटकर नालियों में बहा देते हैं। ठंड अधिक होने के कारण अंचल के सभी जेलों नें इन सूखियों को जलाकर तापने की व्यवस्था की जा रही है। जेल प्रशासन का कहना है कि रोटियां जलाकर तापने का इंतजाम करना यह गुजरे कल की बात है। वर्तमान बंदियों की गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी रखने के लिए कैमरे लगे हैं।
अतिरिक्त कंबल दिए गए हैं, अलाव भी जलवाया जा रहा है
जेल अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि अब कोई बंदी रोटी नहीं जलाता है। उन पर सतत नजर रखी जाती है। पिछले एक हफ्ते से ठंड अधिक पड़ने के कारण बंदियों को अतिरिक्त कंबल दिए गए हैं। ताकि वह एक कंबल को जमीन पर बिछा सकें। जेल में 60 साल से ऊपर के बंदी हैं। उनका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसके अलावा 4 बजे के लगभग जेल में तीन स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है। बैरक में भेजने से पहले बंदी टोलियों के रूप में अलाव के सामने बैठने के कारण उनके शरीर में थोड़ी गरमाहट रहती है। बंदियों के घरों से गरम कपड़े भी आ गए हैं। बंदियों को ठंड से बचाने के जेल मेनुअल को ध्यान में रखते हुए हर संभव उपाए किए जा रहे हैं।
Posted By: anil.tomar